सुबह कितनी मीठी है सूरज की किरण का चेहरे पर आना चाहिडियाओ का च- च- चाहना, हल्की सी चलती हवा, चारो ओर शांति ये पल कितना सुहाना है।
स्वीटेस्, क्यूट एक प्यारी सी लड़की जो अपने प्रिंस चार्मिंग का वेट कर रही है
गुड मॉर्निंग प्रिंस चार्मिंग विश यू स्वीटेस् डे आज सुबह कितनी प्यारी है जैसे आज पूरी कायनात उसे मुझ से मिलने वाली हो। जिसका मुझे कब से इंतजार है
मोम : दिव्या उठी या नही अभी तक
दिव्या: हाँ मोम गुड मॉर्निंग मम्मी अरे वाह आज हमे गुड मॉर्निंग तो प्रिंस चार्मिंग को कौन बोलेगा …..हा …हा… हा…
दिव्या: बाये मोम सी यू आफ्टर कॉलेज
एक प्यारी लड़की दिव्या अपने ख्यालों में गुम है क्योंकि उसे प्यार पर विश्वास है और वह मानती है कि हमारे लिए कोई एक इंसान होता है जो हमारे लिए बना होता है और वह अपने ख्यालों के राजकुमार से बहुत प्यार करती है बस उसे इंतजार है तो उसके मिलने का जो आज पूरा होगा क्योंकि कोई है जो आज उसकी जिंदगी में आने वाला है ऋषभ अग्रवाल एक बोल्ड और स्मार्ट लड़का जिसकी जिंदगी में समय और अचीवमेंट दोनों फर्स्ट चॉइस है जिसे टाइम से पीछे रहना पसंद नहीं है और एक सक्सेसफुल लाइफ में बिलीव़् है आज यह दोनों टकराने वाले हैं जो एक दूसरे से अनजान है और इनकी तकदीर इन्हें साथ में मिलाने वाली है ट्रैफिक लाइट ऑफ एक मोड़ पर दो अंजाने वह दोनों इस भीड़ के बीच तभी उन दोनों की नजर मिलती है ट्रेफिक लाइट सिगनल ऑन हो जाता है जिस पर सभी कार रन होने लगती है
अब यह छोटी सी मुलाकात दोस्ती में कैसे बदलेगी जैसे आज तकदीर ने उन्हें मिलाया क्या दोबारा मिल आएगी।
कीर्ति: हेलो दिव्या कहां हो तुम
दिव्या: मैं बस आ रही हूं 10 मिनट , सो सो सॉरी यार एम लेट
कीर्ति: कहां थी तुम कब से वेट कर रहे हैं हम तुम्हारा अरे यार ट्राफिक में लेट हो गई मैंने किसी को देखा पता नहीं ऐसा लगा जैसे आई नो हिम
कीर्ति : वह हैंडसम था कौन था
दिव्या: शट अप यार मैंने पहले नहीं देखा
स्नेहा: कीर्ति असाइनमेंट पूरा किया तुमने
कीर्ति: नही
स्नेहा: हां बस ये सब सोचने में दिमाग है
दिव्या: असाइनमेंट सबमिट कर देते हैं
कीर्ति: यार ये लेक्चर स्टडी कब खत्म होगी
स्नेहा: जब ग्रेजुएशन पूरी हो जाएगी। हा… हा… हा।
दिव्या: स्नेहा क्यों उसे परेशान कर रही हो
कीर्ति: देखना दिव्या मुझे हमेशा ऐसे ही बोलती है
दिव्या: प्रिंसिपल सर इतने परेशान क्यों है
स्नेहा: यस बट आई डोंट नो एनी आइडिया ओके बाये हां केयरफुली जाना
दिव्या: ओके बाये बाये
कीर्ति: बाये
मोम: टोन टोन, अरे आई ये सब सर्वेंट कहाँ गये। दिव्या आ गया मेरा बच्चा
दिव्या: याह मोम बुहत थक गई पापा आ गये।
मोम: नही अभी ऑफिस मे ही है आज उनकी बहुत इंपॉर्टेंट मीटिंग थी ऑफ सो गुड
बैल डोर टोन टोन लगाता है पापा आगये सर्वेंट ओपन डोर
पापा: हाय बेटा ओर तुम्हारी मोम ने कुछ नही बनाया आज
मोम: डीनर इज़ रेडी टू फिनिश
दिव्या: पापा मेरी सिंगिंग ˌकॉम्पटिश्न् है आप आरे हो
पापा: एस बेटा बेस्ट ऑफ लक , गुड नाईट पापा ममा लव यू
ये छोटी जिंदगी हमारी दिव्या की और वो नया इंसान उसकी इस जिंदगी से जुडा है केयर लव का इंपॉर्टेंट पाठ होता है अगर केयर ना हो तो प्यार हो ही नहीं सकता ये कैरिंग हार्ट मे सॉफ्ट कॉनर बनती है और इधर वो जो अपनी जिंदगी मे बस सक्सेस को फ्लो करता है उसे प्यार के बारे मे क्या पता पर ये उसकी जिंदगी मे प्यार आने वाला है जो प्यार से कोसो दूर है
एंप्लॉय: सर कमिंग सर आपको एज गेस्ट इनवाइट किया गया है कल्चर कंपटीशन के लिए कॉलेज प्रिंसिपल और मैनेजमेंट का मानना है कि आप उनके स्टूडेंट को मोटिवेट करेंगे।
ऋषभ अग्रवाल: विच कॉलेज
एंप्लोई: सर आर्ट ऑफ मैनेजमेंट सर टूमोरओ 8:00 पीएम
नेक्स्ट डे मिसेज रत्ना देवी वेल वेल डिअर स्टूडेंट हेयर टू बी अनाउंस यू ऑल स्टूडेंट्स फैशन एंड टैलेंट को अप्रिशिएट करने के लिए हर साल कल्चर प्रोग्राम अनाउंस करते हैं मुझे बहुत खुशी है कि आज हमारे गेस्ट आप सब को इंस्पायर करेंगे जिन्होंने इतनी छोटी उम्र में इतनी ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं मिस्टर ऋषभ अग्रवाल
हेलो नाइस मीट यू ऑल एम नॉट वीआईपी मैं आपसे सबके जैसा एक्चुअली आई डिसाइड कि मैं भी अपनी स्टडी यहीं से करो स्टूडेंट लाइफ इज गुड लाइफ मैं इसी कॉलेज में हूं आप सबके बीच विद यू ऑल द यूं नीड टू गाइडेंस एम् हियर
थैंक यू सो मच मैम ओके नाउ आई स्टडेड ऑल परफॉर्मेंस, अब बारी है दिव्या जिसकी आवाज इतनी गहरी है कि दिल को छू जाए । हमारे हीरो के तो दिल मे ये आवाज बस गई क्योंकि वह जो भी करती है दिल से करती है और दिल से की गई चीजें दिल तक तो जाने ही थी जो सॉफ्ट हॉट कार्नर में बदल गई । ओर ऋषभ उसके ख्यालो मे खो जाता है उसे ऐसा लगा कि सारी सुकून नियत मिल गई हो और ऐसा फील उसने सक्सेस से भी नहीं किया उसे ऐसा लगा कि वह किसी अलग ही एहसास में वो ये सोचने लगा की ये उसे क्या हुआ ऐसा तो उसने कभी फील नही किया वो अपनी फीलिंग्स अपने फादर से सेर करता है
ऋषभ: मुझे ऐसा कभी नही लगा
फादर: डियर सन ई थिंक आपको उस वन स्पेशल के साथ टाइम स्पेंड करना चाहिए
गर्ल्स : यार सुना वो बिजनेस मैन बॉय हमारे कॉलेज मे है
स्नेहा: कोई कॉलेज आया नही ये शुरू हो गई
दिव्या: यही था वो बॉय जिसे मैने देखा था
कीर्ति: क्या ओह्ह
दिव्या: अरे स्माल अरे यार काश कोई ऐसा मुझे भी मिल जाये
स्नेहा: ओ एम जी
दिव्या: क्या हुआ
स्नेहा: वो यही आ रहा है
ऋषभ टू दिव्या: हाय
दिव्या: हाय
ऋषभ: एम ऋषभ अग्रवाल
दिव्या: आम दिव्या
ऋषभ: तुम एस कॉलेज मे पड़ती हो
दिव्या : यस माई फ्रेंड कीर्ति, स्नेहा
कीर्ति: हाय ओर मे बी यू सो हैंडसम
स्नेहा: हाँ वो क्या हैना मेरी फ्रेंड थोरि पागल है
कीर्ति: क्या
ऋषभ टू दिव्या: यू फ्री हैव कॉफी
स्नेहा: यस यस वो अभी बोल रही थी की कॉफी चाहिए
दिव्या: अ अ
स्नेहा: यस फ्री है दिव्या हाँ
दिव्या: हम ओके
ऋषभ : यू गाइस
स्नेहा: मुझे कीर्ति को कुछ काम है यू बोथ गो बाये
ऑन कैफे, ऋषभ: नाइस
दिव्या: क्या
ऋषभ: यूर सिंगिंग नाइस वॉइस यू आर
दिव्या: ओह्ह ई लव सिंगिंग मुझे बहुत पसन्द है सिंगिंग
ऋषभ: ओह्ह ओर क्या पसन्द है
दिव्या: पेंटिंग, माऊंटिंग ट्रावलिंग
ऋषभ: समाइल्
ऋषभ को बातो मे पता भी नही चला की वकत गुजर गया दिव्या को बी उसका नैचर बहुत अच्छा लगा वो एक दूसरे को पसंद करने लगे ऋषभ उसकी बहुत केयर करता था वो एक दूसरे के बिना नही रह सकते थे। ऐसे ही दिन बीतते जाते है और ये दोस्ती प्यार मे बदल गई थी
ऋषभ: हे (कॉल पर)
दिव्या: हाय
ऋषभ: सो टू नाइट यू फ्री
दिव्या: या फोर व्हाट
ऋषभ: टू नाइट विद डिनर आई विल बी पिक यू
दिव्या: नो एक्चुअली मुझे कोई वर्क है लाइब्रेरी कि बुक सबमिट करनी है मैम को चाहिए अर्जेंट
ऋषभ: ओके लिब्रेर के बाद पिक कर लूँगा
दिव्या: ओह के एम जी रोड पर
ऋषभ: एम वेटिंग
दिव्या: डन टेक केयर
ऋषभ: यू टू टेक केयर
अब जब दोनों मिलने के लिए बेकरार है एक दूसरे से अपने दिल की बात कहने के लिए ये बताने के लिए की वो उसकी दुनिया है वो एक दूसरे के बिना नही जी सकते। ऋषभ बेचेनी से अपने प्यार का इंतजार कर रहा था आखिर वो पल आ ही गया ऋषभ की नजरे दिव्या पर पड़ी वो दूसरी ओर थी और उस तक आने की जल्दी मे थी तबी एक लोरी तेजी से रोड पर आई और दिव्या को इसका अंदाजा नहीं हुआ ऋषभ ने जोर से पुकारा दिव्या पर वह लोरी दिव्या को हिट कर चुकी थी ऋषभ भागकर उसके पास पहुंचा ।
ऋषभ: दिव्या..दिव्या… दिव्या..ओपन योर आइज ओ गॉड सम बड़ी हेल्प दिव्या… ..
वह उसे उठाकर हॉस्पिटल पहुंचा बहुत ब्लडिंग हो चुकी थी और उसके सर पर गहरी चोट आई थी ऋषभ वह जो अपने होश खो चुका था हॉस्पिटल वालों ने दोनों घरवालों को इनफॉर्म किया दिव्या के पेरेंट्स हॉस्पिटल में आए उन्हें पता चला कि वो आईसीयू में है उसे मेजर इंजरी आई है उसकी मॉम तो सुन कर बेहोश हो गई ऋषभ के फादर उसे संभाल रहे थे और वह इसके लिए खुद को गुनहगार ठहरा रहा था
ऋषभ फादर: ऋषि बेटा संभालो खुद को सब ठीक हो जाएगा
ऋषभ: नो डेड इट्स ऑल माय फॉल्ट ना मैं उसे अकेला छोड़ता और ना ऐसा होता
इट्स ऑल माय फॉल्ट डैड
ऋषभ फादर: नहीं बेटा इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है किस्मत को यही मंजूर था सब ठीक हो जाएगा
दिव्या डैड: डॉक्टर मेरी बेटी कैसी है वह ठीक तो है ना
डॉक्टर: मिस्टर शर्मा उनके सर पर गहरी चोट लगी है अभी कुछ कहा नहीं जा सकता प्लीज रिलैक्स
डॉक्टर अपनी मीटिंग में इस केस को डिस्कस कर रहे थे और घंटों बाद दिव्या को होश आया उसकी फैमिली और सब यह सुनकर बहुत खुश होते हैं उसके पेरेंट्स को उसे देखकर जान में जान आई और ऋषभ भी उसे देखकर खुश हुआ तभी दिव्या कहती है मोम यह लोग कौन हैं ऋषभ के तो पैरों तले से जमीन ही चली जाती है यह बात उसके लिए किसी सदमे से कम नहीं थी डॉक्टर पूछते हैं कि तुम्हें यह लोग पता है
दिव्या: हां मॉम डैड
डॉक्टर: आप सब मेरे केबिन में आए
दिव्या फादर: डॉक्टर वह ऋषभ को क्यों नहीं पहचान रही वो प्यार करते हैं दूसरे से
डॉक्टर: एक्चुअली मिस्टर शर्मा उसने अपनी लाइफ की कुछ यादें खो दिए एक्सीडेंट में उसकी सर पर गहरी चोट लगने की वजह से वह कुछ बातें भूल गई है शायद कुछ लोगों को जो और ऐसे में उसे जबरदस्ती याद दिलाना उसके लिए डेंजरस हो सकता है शायद वह कोमा में चली जाए।
दिव्या फादर: न न डॉक्टर डोंट डॉक्टर कोई तो रास्ता होगा
डॉक्टर: ऐसे केस में मरीज खुद से सब कुछ याद कर सकता है जैसे कुछ दिनों एक मंथ 1 साल या नहीं भी गॉड्स नो
इस हादसे के बाद ऋषभ तो पूरी तरह से बदल ही गया वह जैसे खुद में रहने लगा था और बस दिव्या को याद करता रहता अकेले रहने लगा ना किसी से बात करता और ना ही मिलता जैसे वह अंदर से टूट गया हूं कि वह चाह कर भी उसे अपने दिल की बात नहीं कह सकता और उसे उससे दूर रहना है ऐसे ही समय बीता है ऋषभ यहां उसकी यादों में खोया सा रहता और उसका इंतजार करता वहीं कहीं ना कहीं दिव्या के दिल को भी पता था कि वो कुछ तो मिस कर रही है यह दिल से दिल का जो रिश्ता था वो अपनी मॉम से कहती है मोम आपको पता है कि मेरे दिल मे पता नही एक अलग सी बेचैनी रहती हैं जैसे मे कुछ, कुछ क्या बेटा जैसे कुछ भूल गई ऐसा लगता है मेरा कोई अपना मुझे पुकार रहा हो मोम, पर आई डोंट नो उसकी मॉम रोते हुए उसे गले लगा लेती है कुछ नहीं बेटा सब ठीक हो जाएगा मेरे बच्चे काश उसे पता होता की उसके साथ क्या हुआ है की किस्मत का कैसा मजाक है की जो इंसान उसकी जिंदगी था वो उसे भूल गई है दिव्या अपने कॉलेज में अपने फ्रेंड के साथ होती है और वह बातें कर रहे होते हैं तभी वह ट्रिप प्लान करते हैं संडे ट्रिप फुल मस्ती।
स्नेहा कीर्ति ऋषभ को भी बताती है क्यों कि वो दूर करने से उसका ख्याल रखता था और वह अपने ट्रिप लोकेशन पर पहुंचते हैं और एंजॉय करते है। ओर वहाँ कुछ बदमास् लड़के भी आ जाते है जो उन्हे कमेंट करते हैं वो उन्हे इग्नोर करके चलने लगते है फिर उनमे से एक लड़का दिव्या का हाथ पकड़ लेता है ये देखकर ऋषभ वहाँ आ जाता है और उनकी पिटाई करता है जिसमे उसे चोट लग जाती है ये देख दिव्या इमोशन हो जाती है पर ये देख कर वो इतना क्यों रो रही है उसे समझ नहीं आ रहा था और वह इसके बारे में जानने का डिसाइड करती है और उसे सच पता चल जाता है कि वो एक दूसरे से प्यार करते थे और उसे सब याद आ जाता है और वो जा कर ऋषभ के गले लग जाती है कि वह तुम्हे ऐसे नही देख सकती क्यों कि
मे तुमसे बहुत प्यार करती हूँ ऋषभ भी ये सुनकर अपने प्यार का इजहार करता है की हाँ मे बी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ तुम मेरी दुनिया हो ई लव यू दिव्या ई मिस यू सो मच पर मुझे पता था की तुम जरूर आ ओ गी अपने ऋषभ के पास ई लव यू टू ऋषभ अब हम कभी दूर नही होंगे।
और उनकी फैमलि उन्हे जिंदगी भर के लिए साथ जोड देती है जीवनसाथी के रुप मे उनकी शादी करके बी हैप्पी मैरिज लाइफ।