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1. मैं आऊँगा तो इन आसुँओं को बहने मत देना,
अगर बह भी गए तो बटोर लेना,
अगर बटोरना भूल गए तो पोंछ लेना|
पोंछ भी लोगे तो क्या ये खारे पानी के दाग मिट भी जाएंगे! 
सोच लेना,
मैं न रहूँगा,
बस मेरी यादे, मेरी परछाई, मेरे आसुँओं की टप-टप
जिसे तुमने साफ किया था, बस वही रहेंगे उम्र भर,
इक बेदाग़ सी शक्ल बनकर,
हो सके तो उस के सहारे जी लेना,
मैं भी जी ही लूँगा। 

2. हवा ने आज रुख बदला है, ठंडी-सी लहर उठ रही है।
यह शाम की ठहरी चांदनी ओझल-ओझल बिखरी हैं।
फर्श की ठंडक पाँव से मस्तिष्क तक सिहर रही हैं।
फिर भी इस सर्द से मौसम में कुछ निदाघ-सा हैं। 
चाँद हैं, चांदनी रात हैं, सर्द मौसम हैं,
आज रात कुछ तो निखर आएगा।
शायद वो तेरा चेहरा होगा,
या मेरा हाथ होगा जो उसे सहला रहा होगा।

(निदाघ- उष्म)

 3. इक पत्थर सी आँखे है मेरी,
जो कभी अपनी जगह से हिलती नही।
इक पत्थर सी आँखे है मेरी,
तुम चाहे कितना भी रुलाओ, आँसू निकलते नही अभी।
हां, पहले कभी मोम की हुआ करती थी,
पर अरसा हो गया मोम देखा नही कभी।
मोम जो तेरे देखने तलक से पिघल जाता था।
अब मै कहता हूँ देख लिया करो कभी-कभी,
आँखे ही तो है, पिघल भी सकती है कभी। 

4. दिल की गर्दिश पर काले बादल मंडरा रहे हैं।
मैं जो तुझको ना भूलुँगा इस सर्द रात में।
शांत, सुडौल कोहरे भरी रात।
इस रात में एक आहट बैठी है।
मैं तुम्हे गले लगा बैठा हूँ,
और तुम मुझे भूला बैठे हो।
चद्दर ओढ़कर हूँ,
पश्मीने की तरह,
चांदनी रात में, सर्द हवा से
यादें लिपटे बैठा हूँ।
हाथों में हाथ दो हाथ हैं,
हम दो हैं या एक,
चाँद को मुहार रहे हैं।
ये याद हैं या बस इक रात,
परवाने की तरह जी रहा हूँ,
पल, दो पल।
(चाँद को मुहारना- इश्क़ की नकेल करना) 

5. गर्मी है, बारिश तो होगी ही।
बारिश है, सुकून तो देगी ही।
पर हर बारिश के बाद सर्द का मौसम आएगा
जो अपने साथ इक पतझड लेकर आएगा।
मैं उसमें अपने बूढ़ापे तक इक लाठी लेकर खड़ा होऊँगा,
पतझड़ एक,
पतझड़ दो,
पतझड़ तीन,
आखरी पतझड़,
क्या तुम भी इस लाठी का सहारा बनकर खड़े रहोगी।

6. सन्नाटे  में से आवाज निकलती है।
शांत हूँ,  पर शांत दिखता नहीं।
तेरी आहट भर से, तेरे तलक देखता हूँ।
सर्द हवा हैं,  चादर ओढ़े बैठा हूँ, 
दुनिया को अपने गुमान में  खोए बैठा हूँ।
पर तेरी याद है,  जो सन्न में भी शोर कर देता हैं।
कभी-कभी एक गुमनाम आहट कहीं से आती हैं , 
आती हैं  और शोर करती हैं,
उठो भाई... उठो ,कहाँ खो गए,
वो गई तू भी जा,
वक्त के लफ्जों में कहीं खो जा।

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