एक रोज मिले थे हम
अब हर रोज मिलने लगे हैं
पहले सिर्फ हाल चाल पूछते थे
अब हम साथ वक्त गुजारने लगे हैं
कभी तुम्हारी गली की तरफ मुड़कर तक नही देखा था
आज घर तक आने लगे हैं
कभी आंखों से इशारे तक नही किए
आज नजरें मिलाने लगे हैं
कभी साथ दो कदम तक नही चले थे
आज मीलों का सफर तय करने लगे हैं
अनजान थे तुम कभी अब मेरी जान बनने लगे हो
लफ्ज़ थे मेरे अब एहसास बनने लगे हो
कैसे ना धड़के ये दिल मेरा तुम्हारे लिए
मेरी रूह तक का सफर जो तय करने लगे हो
ख्वाब थे तुम मेरे अब हकीकत बनने लगे हो
कैसे छोड़ दूं एक पल के लिए भी अकेला तुमको
मेरी जिंदगी के नाम जो अपने आयाम लिखने लगे हो
कैसे नजरें हटाऊं एक पल के लिए भी तुम्हारे चेहरे से
रातों मैं भी मुझे रोशन करता मेरा चांद जो बनने लगे हो