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ना बात है उस लड़के की, ना बात है इस लड़की की,
ये बात है इंसान की, ये बात हिंदुस्तान की। 
मन सोच कर है रो रहा, हैवानियत है बढ़ रहा
कानों में उसकी चीख है, ये कैसी तेरी रीत है!? 
ना कपड़े उसके छोटे थे, ना सुनी थी कोई सड़क
नहीं कहीं बाहर थी वो, नहीं किसी के संग थी वो,
नहीं कहीं भटक रही, थी काम अपना कर रही,
वो माता अब भी रो रही,  है बाप न्याय मांगता
नहीं किसी से बैर था, फिर काहे तुमने ये किया!? 
कुछ दीप लेकर चल पड़े, कुछ कह रहे उसे बेटियां।
 
अब लड़कियों को मां का दर्जा देके से पूजा जाएगा,
फिर दूसरे दिन मां बहन की गालियां दे, उनको नोचा जाएगा
फिर निर्भया की लाइन में, एक और लड़की आएगी
वो चीखेगी, वो रोएगी,
वो भीख अपनी जिंदगी की फिर किसी से मांगेगी
ना हम बहन, नहीं हम माँ, नहीं किसी की प्रेमिका
हम हैं मनुज, हम आत्मा, तुम्ही के जैसा तन बना। 
अरे तुमसे है, तुम ही सी है हम लड़कियां इंसान हैं
तुम अजनबी हम अजनबी, पर दोनों तो है "शक्स" ही। 
ना देवी हमको तुम कहे, ना हम कहे परमात्मा
इंसान थे इंसान है, बस चाहते समानता

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