कलम एक स्त्री है
चलो आज एक ख़ास शख्सियत से मिलवाती हूँ,
एक दिव्य कन्या से आपका दर्शन करवाती हूँ।
वो इस संसार को चलाने वाली देवी का स्वरूप है,
लेखकों की प्रेमिका कलम एक सुंदर स्त्री है।
शब्दों के आदेश का पालन कराने वाली है वो,
हृदय की मनोकामना पूरी कराने वाली है वो,
लेखकों की गौरव पुत्री है वो।
मौन व्रत में ही दिलों की बात को समझती है वो,
ख्यालों के तांडव से मन को शीतल कराती है वो,
७ जन्मों तक साथ देने वाली पत्नी है वो।
दिल के मकान को अपनी सुहागन से सजाती है वो,
विचारों को अपनी खून से सुशोभित कराती है वो,
बातों का मान रखते हुए घर चलाने वाली बहु है वो।
कलेश के समय अपनी गोद में सुलाती है वो,
अपने पर्दे में बाँध कर दुनिया दिखाने वाली खिड़की है वो,
बिन बोले ही बात को समझने वाली माँ है वो।
रोते समय अपने कंधे दिलाने वाली है वो,
अपने हर रहस्य को स्वयं में समेट कर रखती है वो,
नटखट नखरों को सहने वाली सखी है वो।
कलम एक स्त्री है,
जो कभी बिना कुछ बोले सब सहन लेती है।
वो एक गृहिणी है,
जो बिन कोई शिकायत से सारा काम कर लेती है।
नए-नए अध्यायों को जन्म देने वाली जगत जननी है वो,
मुख्य बातों का रक्त बहाने वाली माहवारी है वो।
एक लेखक के संसार को चलाने वाली शक्ति है वो!
छत्रछाया बनकर अपना कर्तव्य निभाने वाली सीता भी है वो,
समाज के अत्याचारों का विध्वंस कराने वाली द्रौपदी भी है वो।
वो एक नारी है,
जिसको जितना भी निहारे वो कम है।
कलम वही नारी है,
जिसकी पूजा लेखनी द्वारा की जाती है।