भले है डर मुझे की, दूर मुझसे तू कभी होगा
हो कोई अजनबी दिल में, तो मुझसे एक दफा कहना
मगर मैं सिर्फ हु तेरी, तू मेरी बात ये सुन ले
तू मेरे दिल ओ मेरी रूह, मेरी जिंदगी रख ले
पुराने खत है मेरे पास, तेरी याद में सारी
कोई बिस्तर के नीचे है, कोई दिल में छपे से है
भले तू कर दे मुझको ना, हो चले एक लफ्जो में
मगर नजरो की गुस्ताखी, सही अब भी नहीं जाती
जहां तक हो सके तुमसे, वही तक हम बने रहना
अगर लगे की मुश्किल है, तो हम से मैं हटा देना