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उनकी शायरी मे जिक्र होता है 
उड़ती जुल्फो का, गोरे बदन का
लहराती पल्लू का, उस पतले कमर का
कभी उन्हे चाँद का टुकड़ा कहा जाता है
तो कभी रूपसुंदरी कहकर पुकारा जाता है

यू तो कविता कहानी और हज़ारों शायरी लिखी उस बदन पर
पर इस चेहरे पर कोई ऐतबार नही 
जरा करीब से देखना उस खुबसुरती को 
क्या उसमे कोई दाग नही?? 

जहाँ उनके चेहरे को देखकर 
उनका दिल खूबसूरत बतला दिया जाता है
तो वही एक तरफ, खूबसूरत दिल को
बदसूरत चेहरे की आड़ मे छुपा दिया जाता है

लोगो को छोटा बच्चा पसंद है
पर छोटी हाईट स्वीकार नही
यू तो काला काजल लोगो की खुबसुरती बड़ाता है 
तो क्यो काली लड़की स्वीकार नही

मेरा काला बदन, मेरी मोटी चमड़ी
और छोटी हाईट लोगो को मंजूर नही
शायद तुम्हारी खुबसुरती की परिभाषा ही बदसूरत है
इसीलिए मुझे तुम्हारी हामी की जरूरत नही

यु तो कीचड़ मे भी खुबसुरती होती है
और दाग तो चाँद पर भी है 
पर, शायद ये समझने के लिए लोगो को वक्त नही
और जो कहते है तुम्हे बदसूरत 
शायद उनका मन खूबसूरत नही।

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