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क्या इंसान में इंसानियत बाकी नहीं..?
अमीर गरीब में तो पहले ही बटे है,
 क्या इतना भी काफी नही,
क्या इंसान का इंसान होना काफी नहीं..?

अगर कला पहना है तो मुस्लिम होगा,
अगर लाल पगड़ी है तो सिख होगा,
अगर सफेद में शादी है तो क्रिश्चन होगा ,
अगर सफेद में कफन है तो हिंदू होगा,
पहले इंसानों को रंगो की पहचान होती थी
अब इंसान की पहचान ही रंगो से होती है ।
मुझे माफ करना दोस्त पर,
इस अंधे धर्म के लिए कोई माफी नहीं 
दुनिया में इंसान का इंसान होना काफी है..!

अगर कपड़े छोटे हो तो बच्चलन होगी,
अगर कपड़े बड़े हो तो मासूम होगी,
अगर जोर से हसे तो बेशरम होगी,
अगर धीरे हसे तो दब्बू होगी,
दूर से देख कर पूरा चरित्र बता देते है
खुद का कोई वर्तमान नही,
और दूसरे का भविष्य बता देते है।
तुम जितना खुद को समझते हो तुम उतने भी ज्ञानी नही
क्या इंसान का इंसान होना काफी नही...?

अगर मैं गोरी हूं तो खूबसूरत ही होऊंगी,
अगर वो काली है तो बतसूरत ही होगी,
अगर पतली हु तो कोई गोद में उठाएगा,
अगर मोटी हुई तो कौन मुझे पलको पे बैठाएगा,
अब भी सुंदर चमड़ी, पर बदसूरत जिंदगी है
बेशक तुम गोरी, पर सोच अब भी गंदी है।
माफ करना मेरे दोस्त,
पर तुमने असली सुंदरता जानी नही
क्या इंसान का इंसान होना काफी नही..?

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