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शत शत नमन उस माटी को,
जिसपर हमने जन्म लिया...!
उस माटी को, उस घाटी को,
उस भिन्न भिन्न सी ख्याति को...!
शत शत नमन...!
जहा जन्म लिया उस रानी ने,
झांसी की वीर सयानी ने..!
जहां हुआ जमन उस राजा का,
महाराष्ट्र के वीर शिवाजी का..!
तुम याद करो कुरबानी को
रक्त भरी उन धारों को...!
शत शत नमन..!
ये वही भूमि जिसपर जमने,
दादा, बंधु, वीर महान..!
गौतम, बुद्ध, और भगत भी,
थे इस भूमि की संतान...!
है वक्त अभी, तुम रुक जाओ
तुम स्वार्थ से ऊपर उठ जाओ..!
शत शत नमन...!
"भारत" अब बस "भय" बना,
स्त्री की इज्जत पर व्यंग्य हुआ..!
कही हो रहा भ्रष्ट्राचार, तो कही हो रहा अत्याचार,
अभी वक्त है रुक जाओ..!
उन पन्नों को तुम पलटाओ,
और करो नमन उन ज्ञान को.
संविधान में वर्णित भावों को,
एकता बंधुत्व के नारों को...!
शत शत नमन...!
शत शत नमन उस माटी को,
जिसपर हमने जन्म लिया..!
उस माटी को, उस घाटी को,
उस भिन्न भिन्न सी ख्याति को..!
शत शत नमन..!