सुबह सुहानी, मीठी है शाम अयोध्या की सीता है शान, राम है पहचान अयोध्या की जितना सुनोगे उतना ही डूबते जाओगे, मधुर बहुत है यह जुबान अयोध्या की ।।
अयोध्या (Ayodhya), भारत का प्राचीनतम नगर है जिसे बौद्धकाल में साकेत (Saket) कहा जाने लगा था, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नगर है। यह पवित्र सरयू नदी (घाघरा नदी) के तट पर बसा हुआ है और अयोध्या जिले का मुख्यालय है। इतिहास में इसे 'कोशल जनपद' भी कहा जाता था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या में सूर्यवंशी / रघुवंशी / अर्कवंशी राजाओं का राज हुआ करता था, जिसमें भगवान् श्री राम ने अवतार लिया।
अयोध्या के विषय में कहा जाता है कि इस नगर को मनु ने बसाया था और इसे 'अयोध्या' का नाम दिया जिसका अर्थ होता है अयोध्या अर्थात् जिसे युद्ध के द्वारा प्राप्त न किया जा सके। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग वीं शताब्दी में यहाँ आया था उसके अनुसार यहाँ 20 बौद्ध मंदिर थे तथा 3000 भिक्षु रहते थे। यह नगरी सप्त पुरियों में से एक है-
अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका । पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिकाः ॥ (अर्थ: अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, काञ्चीपुरम, उज्जैन, और द्वारिका ये सात पुरियाँ नगर मोक्षदायी हैं)।
मानव सभ्यता की पहली पुरी होने का पौराणिक गौरव अयोध्या को स्वाभाविक रूप से प्राप्त है। फिर भी रामजन्मभूमि, कनक भवन, हनुमानगढ़ी राजद्वार मंदिर, दशरथमहल, लक्ष्मणकिला, कालेराम मन्दिर मणिपर्वत, श्रीराम की पैड़ी, नागेश्वरनाथ, क्षीरेश्वरनाथ श्री अनादि पञ्चमुखी महादेव मन्दिर, गुप्तार घाट समेत अनेक मन्दिर यहाँ प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। बिरता मन्दिर, श्रीमणिरामदास जी की छावनी श्रीरामवल्लभाकु श्रीलक्ष्मणकिला श्रीसियारामकिला उदासीन आश्रम रानोपाली तथा हनुमान बाग जैसे अनेक आश्रम आगन्तुकों का
अयोध्या का कई समय से विवाद चला आ रहा था इस विवाद की वजह से भगवान श्री रामचंद्र जी का मंदिर नहीं बन पा रहा था। इस अयोध्या के विवाद की वजह से 400 साल तक यह विवाद सुप्रीम कोर्ट में रहा। 1949 में यहां असली विवाद हुआ अयोध्या में 1992 में भी विवाद हुआ था। ऐसा कहा जाता है की बाबर ने आज से कुछ सालों पहले मस्जिद बनवाई थी. इसे लेकर हिंदुओं का दावा है कि यहां पर भगवान श्री राम का मंदिर था, यह भगवान श्री रामचंद्र की जन्मभूमि है।
कई सालों तक यह विवाद चलता रहा, अयोध्या के विवादित स्थान पर 2010 में इलाहाबाद के हाईकोर्ट ने सुनवाई की थी। जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया तो अयोध्या विवाद पर जो इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला था उसपर रोक लगाई गई फिर यह मामला लंबा चला 2019 में अयोध्या केस विवाद को मध्यस्था के लिए भेजा लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि मध्यस्था से मामला नहीं निकल सका है।
कुछ समय बाद सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई हुई और फिर अयोध्या का फैसला आ गया। अब भगवान श्री रामचंद्र की जन्मभूमि अयोध्या में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन 5 अगस्त को हो चुकी है, यह 5 अगस्त का दिन हम सभी के लिए किसी दिवाली से कम नहीं है जल्द ही यह मंदिर बनकर तैयार होगा तो वास्तव में श्री रामचंद्र जी के मंदिर में जाकर उनके दर्शन करना हम सभी के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा।
अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का कार्य तेजी से पूजा किया जा रहा है। अब जानकारी मिली है। कि भगवान श्री राम और माता सीता की प्रतिमा को चमत्कारी शालिग्राम पत्थर से बनाया जाएगा।
अयोध्या में राम मंदिर बनने का निश्चय हमारे देश के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के करण ही हो पाया है। ये निर्णय अयोध्या ही नहीं अपितु संपूर्ण भारत वर्ष के लिए अत्यंत खुशी का निर्णय था। इसके साथ ही साथ बिदेशियों ने भी इसमें रुचि दिखाई है। इससे न केवल राम मंदिर का अपितु संपूर्ण अयोध्या का विकास हो रहा है और आने वाले समय में ये एक भव्य नगरी होगी। अयोध्या में राम मंदिर के साथ ही साथ कार्ड स्थानों में विकास हुआ जिसमे अयोध्या के छह प्रवेश द्वार, अयोध्या हवाई अड्डा, आधिकारिक तौर पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हवाई अड्डे के रूप में अत्यधिक प्रशंसनीय है।
अयोध्या की गलियों में खो जाना चाहता हूँ,
राम मेरे हो जाए में राम का हो जाना चाहता हूँ।
जब तक भी चले सांसे गुज़रे वक्त अयोध्या में,
रुक जाए सांसे तो राम नगरी में ही सोना चाहता हूं ॥
हम अयोध्या के दीपोत्सव को कैसे भूल सकते हैं। यह कि संपूर्ण सुन्दरता इसी में तो बस्ती है। दीपावली राम चंद्र जी के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई जाती है और दीपोत्सव राम मंदिर के फैसले के बाद मनया जाता है जिसमें पूरा अयोध्या जगमगा उठा है।
दीपोत्सव में 15 लाख 76 हजार से अधिक दीयों को जलाने का नया कीर्तिमान स्थापित हो गया। 2021 में नौ लाख 51 हजार दीयों को जलाने का रिकार्ड बनाया गया था। यह रिकार्ड महाकाल उज्जैन की भूमि पर टूट गया था। वहां 11 लाख 31 हजार से अधिक दीये जलाए गये थे।
ये है हमारा अयोध्या आए और यहाँ कि सुंदरता का आनंद लीजिए तब आपको इसकी सुंदर का वास्तविक अनुभव होगा।
अयोध्या नगरी ने प्रभु श्री राम का इंतज़ार उस युग में भी किया था और इस युग में भी किया है। प्रभु श्रीराम के लौट आने की कितनी ख़ुशी • अयोध्या नगरी को हुई है उसको शब्दों में लिखना मेरे बस में नहीं है ।