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संचित अपने कमरे में लेता है तभी वो देखता है कि कोई उसके पास आ रहा है। और उसके हाथ मे एक चमकीली छड़ी है और वो संचित के पास आकर उससे बोलता है कि संचित उठो तुम्हें चुना गया है और वो समय आ चुका है जिसके लिए तुम्हें चुना गया था और पृथ्वी पर छोड़ा गया था और ये सुनने के बाद संचित कुर्सी से खड़ा होता है कि तभी उसे उसकी मां की आवाज आती है। और उसकी माँ चिल्लाती है कि संचित चल खड़ा हो कितनी देर तक अपने कमरे मे बैठा रहेगा तेरे कॉलेज का आज पहला दिन है और तू आज भी ऐसे late कर रहा है तुझे अब तक अकल नहीं आयी है क्या इतना सुनते ही संचित एकदम से झटका लेता है और देखता है कि वो एक सपना देख रहा था और वहाँ पर उसके अलावा कोई और था ही नहीं फुर संचित जल्दी जल्दी से कमरे के बाहर निकलता है और जल्दी जल्दी खाना खाता है और अपने कॉलेज के लिए निकल जाता है।

संचित कॉलेज पहुँचता है और और उस कॉलेज को निहारता है क्यूंकि वो कॉलेज बिल्कुल वैसा ही था जैसा वो रोज सोचा कर्ता था और जैसा उसने फ़िल्मों मे देखा था बड़ा सा कैम्पस और बहोत अच्छी बिल्डिंग वो कॉलेज को देख कर बहुत खुश होता है क्यूंकि इस कॉलेज मे उसका एडमिशन बहुत मुश्किल से हुआ था।

अरे अरे अरे रुको रुको रुको इससे पहले कि आप आगे पढ़ें मे आपको संचित से तो मिलवा दु। संचित एक सीधा-सादा लेकिन बहुत खास लड़का है ये एक छोटे से कस्बे में रहता है और एक मिडल क्लास परिवार से ताल्लुक़ रखता है ये बचपन से ही पढाई मे एक अछा विद्यार्थि रहा है और इसे कुछ अजीब से सपने दिखाई देते है अब वे सपने है या फिर इसकी कल्पना ये तो आपको आगे पढके ही पता चलेगा तो आइये साथ मिलके पढ़ते है। 

तो कहा थे हम हाँ याद आया तो आज संचित का पहला दिन है कॉलेज मे और वो बहत खुस है क्यूंकि उसे उसके सपनों का कॉलेज मिल गया है और वो अपना काम अपनी बिल्डिंग की तरह बढ़ा ही रहा होता है कि तभी उसे पीछे से एक अवाज आती है कि ओये लड़के इधर आ वो पीछे मुड़कर देखता है तो कुछ लड़कों का एक ग्रुप उसे बुलाता है और उससे बोलता है कि क्यू भाई नया आया है क्या कॉलेज मे तो संचित उन्हें bolt है कि हाँ भैया आज मेरा पहला दिन है तब वे लड़के उसे बोलते है कि क्यूँ बे तुझे तमीज नहीं है क्या हम सीनियर है तेरे हमे sir कह के बात कर और आगे से ध्यान रखना की कोई सीनियर कुज भी बोले तुझे उसे sir ही कहना है बिचारा संचित बड़े रूखे मन से उन लड़कों को बोलता है कि ठीक है सर मैं आगे से ध्यान रखूँगा तब वे बोलते है कि चल अब अपना इन्टरो दे हमे तब संचित उन्हें अपना नाम बताने लगता है कि तुरंत एक लड़का उसे बोलता है कि अरे ओ हीरो ये आंखें नीचे कर के बोल वो बिचारा संचित बिल्कुल रोने वाली शक्ल के साथ उन्हें अपना नाम बताता है और वे लड़के उसका मजाक उड़ाते है और उसपे हस्ते है संचित सोचता है कि काश वो कुछ कर पाता इनसे लड़ पाता अगर उसके पास कुछ शक्तियां होती तो वो उन्हें ऐसा सबक सिखाता की वे कभी उसे दोबारा परेशान ना करते उसे तो क्या वे कभी किसी को परेशान नहीं करते। ये सब सोच के संचित को गुस्सा आरा होता है तो वो अपने हाथो को जोर से भींच देता है। फिर वही लड़का उससे कहता है कि क्या बे तुझे गुस्सा आरा है क्या मारेगा मुझे ले मार और ऐसा की के अपना गाल उसके आगे कर देता है और उसे बार बार बोलता है कि ले मार ले मार क्या हुआ बचा डर गया क्या ले मार ना उठा हाथ संचित उसे मारने ही वाला होता है कि तभी वहां एक टीचर आजाता है और ये सब रूक जाता है।

फिर संचित वहाँ से उदास होके अपनी क्लास मे जाता है और अपनी बेंच पर जा के बैठ जाता है। और क्लास स्टार्ट हो जाती है टीचर आ के पढ़ाने लगता है। तभी गेट से एक प्यारी सी और पतली सी अवाज आती है may i come in sir पर संचित उसपे ध्यान नहीं देता क्यूंकि वो उसी सोच मे डूबा है कि उसके साथ आज क्या हुआ और जो हुआ वो नहीं होना चाहिए था। वो उसी सोच मे डूबा रेहता है कि तभी वो ल़डकियों उसके साइड मे आके बैठ जाती है लेकिन वो उसपे ध्यान ही नहीं देता और आधा लेक्चर बीत जाता है यही वो देखता है कि उसके पास मे एक बहुत ही प्यारी सी ल़डकि बैठी है जिसका पूरा ध्यान टीचर की बातों पर है संचित उसे देखता है तो देखता ही रह जाता है तब वह ल़डकियों संचित को देखती है और आराम से बोलती है कि अभी मुझे नहीं सर को देख लो बाद मे आराम से देख लेना और संचित चुपचाप टीचर की तरफ देखने लगता है। तभी संचित का ध्यान गेट पर जाता है उसे वही आदमी फिर से दिखता है जो उसे सुबह उसके कमरे मे दिखा था और वो संचित को ही घूर रहा होता है। संचित एकदम से उसपे से नजरिए हटाता है और सर की तरफ देखने लगता है।

थोड़े टाइम बाद क्लास खत्म होती है। तब वो लड़की संचित से बोलती है कि hyy i am paritya और वे दोनों बात करने लगते है फिर उसके बाद संचित कैन्टीन मे जाता है और वो ल़डकि भी उसके साथ जाती है वे दोनों आपस मे बात करते हुए कैन्टीन मे जाते है और वहाँ एक खाली टेबल देख के उसपे बैठ जाते है। और बात करने हुए कॉफी ऑर्डर करते है तभी वहां संचित का एक पुराना दोस्त आजाता है और संचित उसे देख के बहुत खुश होता है और बोलता है कि arey विनय तू यहा और संचित उससे गले मिलता है और परित्या से उसका introduction करवाता है, और फिर वे तीनों साथ मे बैठ के लंच करने लगते है कि तभी वहां पर वो सुबह वाला आवारा लड़कों का ग्रुप आजाता है और वे संचित को परेशान करने लगते है तभी विनय उन्हें रोकते हुए बोलता है कि भाइयों देखो आप ये सब रहने दीजिए वर्ना आपको बाद मे बहोत पछतावा होगा क्यूंकि जिस लड़के को आप परेशान कर रहे है उसके बारे मर आप कुछ नहीं जानते और अगर इसे गुस्सा आग्या तो आपका जो हाल होगा उसके जिम्मेदार आप खुद होंगे मेरा काम था आपको सतर्क करने का जो मैंने कर दिया है आगे आपको जो अछा लगे वे विनय की बातों पर ध्यान नहीं देते और उसे बोलते है क्यु क्या करेगा तेरा ये हीरो तभी उनमे से एक लड़का परित्या को छेड़ते हुए बोलता है कि मैडम जी कभी हमारे साथ भी लंच करो तब संचित बोलता है कि मुझे जो कहना है की ले ल़डकि को परेशान मत कर। लेकिन वो लड़का नहीं मांगा और परित्या के लंच की तरफ हाथ बढ़ाता है यही सचित उसका हाथ पकड़ के मोड़ देता है और उसके सिर पे कॉफी का कप फोड़ देता है और वो लड़का खून से लहू-लुहान हो जाता है तभी विनय कहता है कि मैंने तो बोला था पर तुमने ही मेरी नहीं सुनी तभी संचित उन सब को एक एक करके खूब मार लगाता है और बीच मे ही वहाँ पे प्रिन्सिपल आजाता है और उन लड़कों और संचित को अपने ऑफिस मे बुलाता है। तब विनय परित्या को बताता है कि संचित का पास्ट क्या है और वो उसे बोलता है कि ऐसे कुछ टाइम पहले की बात ये अकेला

तब विनय परित्या को संचित के बारे मे बताता है कि संचित उनके बैच का सबसे गुस्सैल लड़का था और साथ ही में वो सबसे अच्छे से व्यवहार भी करता था सबसे बोलता सबके साथ हँसता और मजाक किया करता था। कोई इसे कुछ कह दे तो ये एक बार को उसे माफ़ भी कर देता था लेकिन अगर कोई इसके दोस्त या किसी ऐसे को कुछ कह दे जिसे ये अपना समझता था तो इसे रोकना भारी हो जाता था इसकी एक सबसे अच्छी दोस्त थी सोनाक्षी, ये उसे सोनी बुलाता था और सबसे ज्यादा ये उसकी के साथ रेहता था फिर सोनी के पापा का ट्रांसफर किसी दूसरे शहर मे हो गया था और सोनी को उनके साथ जाना पड़ा था। सोनी आखिरी बार इससे मिले बिना ही चली गयी। सोनी के जाने के बाद संचित मानो अकेला ही पड़ गया था और ये किसी के साथ नहीं बोलता था। और उसके बाद इसे कभी गुस्सा भी नहीं आया। तुम यकीन नहीं करोगी लेकिन ये इंसान अकेला ही 12 12 आदमियों पर भारी पड़ता था। आसपास के क्षेत्रों मे इसके जैसी कोई नहीं था। लेकिन जब से सोनी गई इसने खेलना भी छोड़ दिया और सिर्फ अपने मे रहने लगा। उस दिन के बाद मैं आज इसे इतने गुस्से मे देख रहा हू। और जैसे ये तुमसे बात कर रहा है ये कभी किसी से ऐसे बात नहीं करता सोनी के बाद। ये तो आज पहले दिन ही कॉलेज आया है इसे तुम मे ऐसा क्या दिखाई दिया जो ये एकदम पहले जैसा हो गया। तब परित्या बोलती है की मैं इसके बारे मे ये सब बातें पहले से ही जानती हू। विनय अचानक उसे बड़ी हैरानी से देखता है और अपने मन ही मन मे सोचता है कि इसे संचित के बारे मे कैसे पता संचित का तो कस्बा भी यहां से बहोत दूर है ओर इस शहर मे मेरे अलावा कोई संचित और उसके पास्ट को जनता तक नहीं है। विनय हकलाहट के साथ उससे पूछता है कि तुम्हें उसके बारे मे कैसे पता तब परित्या बोलती है सिर्फ ये ही नहीं मुझे इनके बारे मे सब कुछ पता है वो भी जो तुम्हें तो क्या इन्हें खुद भी नहीं पता है आज तक। विनय बहत हैरानी के साथ उससे पूछता है कि कौन हो तुम और वो क्या है जो संचित के बारे मे मैं भी नहीं जानता तभी वहां संचित प्रिन्सिपल के ऑफिस से आजाता है और कहता है क्या यार आज पहला दिन था आज ही ये सब होना था क्या मेरा तो सारा मूड खराब हो गया तो परित्या उससे पूछती है कि क्या हुआ संचित प्रिन्सिपल सर ने क्या बोला तब संचित बताता है कि प्रिन्सिपल सर ने उसे पहली वार्निंग देकर छोड दिया है औऱ कैन्टीन का जो नुकसान हुआ है वो आधा आधा भरने बोला है तब परित्या उससे बोलती है कि चलो मैं तुम्हारा मूड ठीक करती हू और वो उसे कहती है कि चलो मेरे साथ संचित मना करते-करते भी ना नहीं कर पाता और परित्या उसे चलने के लिए मना ही लेती है और फिर वो उसे आइस क्रीम की दुकान पर लेके जाती है और उसे आइस क्रीम खिलती है संचित उससे पूछता है कि तुम्हें कैसे पता कि आइस क्रीम से मेरा मूड ठीक हो जाता है? तो परित्या बोलती है कि बस थोड़ा सा तुक्का मारा और वो सही हो गया खैर और बताओं आप अपने बारे मे मिस्टर संचित संचित बोलता है कि मैं आपको अपने बारे मे क्या बताऊँ आप खुद ही मेरे साथ रह के जान लो। परित्या बोलती है कि हां ये ज्यादा सही रहेगा संचित आगे परित्या से पूछता है। की आप बताओ अपने बारे मे कुछ तो परित्या बोली कि मैं इंदौर से हू और यहां पर अपनी फॅमिली के साथ आयी हू क्यूंकि मेरे पापा का बिजनेस यहाँ है और मुझे आइस क्रीम बहत ज्यादा पसंद है संचित बोलता है ओह अच्छा ये बात है और तुम्हारी फॅमिली मे कोन कौन है परित्या बताती है कि मैं माँ पापा और बस यही है मेरी छोटी सी फॅमिली और मेरी बड़ी सी दुनिया अच्छा संचित बोलता है और कहता है कि लगता है फॅमिली से ज्यादा प्यार करते हो तब परित्या बोलती है कि अच्छा मिस्टर अपने बारे मे कुछ नहीं बताना और मेरे बारे मे सब जान लो ये तो सही बात नहि है संचित कहता है कि हां बोल तो आप सही रहे हो है तो खैर ये गलत ही चलो कोई नहीं परित्या बोलती है और आगे कहती है कि जब मे तुम्हारे साथ रहूंगी तो तुम भी मेरे साथ रह लेना और तुम मुझे जानना और मैं तुम्हें जानूँगी संचित बोलता है कि हां ये काफी अच्छा आइडिया है हम इसके ऊपर काम कर सकते है और दोनों हसने लगते है।

फिर संचित कहता है कि चलो मैडम अब अगली क्लास में भी जाना है लंच ही हुआ था छुट्टी नहीं चलो अब जल्दी चलो फिर वे दोनों क्लास में चलें जाते है और क्लास के बाद वे दोनों थोड़ा टाइम एक दूसरे के साथ बिताते है और फिर परित्या अपने घर चली जाती है और संचित अपने हास्टल के रूम मे चला जाता है और बेड पर लेट जाता है कि तभी वो इंसान उसे फिर दिखता है जो हाथ में छड़ी लिए हुए था और वो संचित से बोलता है कि बेटा उठो अब और चलो ये कोई सपना नहीं है और ना ही तुम्हारे मन का कोई वहम में तुम्हारा सरदार हूं और मेरा नाम भीष्म है संचित उनसे बोलता है कि कहा जाना है मुझे कहीं नहीं जाना मैं यहि रहना चाहता हूं तब भीष्म जी बोलते है कि बेटा अपना कर्तव्य मत भूलो तुम्हारा जन्म इसी के लिए हुआ था तब संचित बोलता है कि आप क्या मज़ाक कर रहे है मैं एक साधारण सा लड़का हू तब भीष्म जी कहते है कि बेटा आप अपनी शक्तियों को नहीं पहचान पा रहे हो अभी मेरे साथ चलो आपको पता चलेगा कि आप साधारण तो बिल्कुल भी नहीं हो आप अपने माता पिता की घोर तपस्या का फल हो जो उन्हें हनुमान जी की अराधना करने पर स्वयम बजरंगबली जी नें दिया है आप में श्री हनुमान जी की शक्तियों का एक अंश है संचित बोलता है कि मैं ये सब नहीं मानता में कल ही अपनी माँ से मिलके आया हू और वे भी इन सब मे नहीं मानती है। आप यहां से जाइए और मुझे परेशान मत कीजिए तो भीष्म जी बोलते है की लगता है बेटा आप तय्यार नहीं हो अभी भीष्म जी अपनी छड़ी उठाते है तभी संचित चिल्लाता है नहीं।।।।।।।।।।। और  एकदम से बैठ जाता है तब उसे लगता है कि वो सपना देख रहा था और वो बिस्तर से उठ के पढ़ने लगता है और फिर थोड़ी देर परित्या से फोन पर बात करके सो जाता है अगले दिन जब वह क्लास ले रहा होता है तो उसे गेट पर से एक जानी पहचानी सी अवाज आती है और जब खड़ा होके गेट पर देखता है तो वो इतना हैरान हो जाता है कि एकदम झटके से अपनी बेंच पर बैठ जाता है और सोच में पड़ जाता है कि ये यहां कैसे.............

आखिर कोन था वहाँ गेट पर जानिये अगले चैप्टर में

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