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इस डिजिटल दुनिया मे एक बटन ही काफी है दुनिया की हर चीज़ हमारे हाथो तक पहुंचने के लिए । मगर कभी हमने सोचा है की दुनिया का हर चीज़ हमारे तक कौन पहुँचता है । शायद हम इस सवाल का जवाब जानते है । मगर कभी इस व्यक्ति के बारे मे सोचना के लिए समय तक नहीं निकला । यह व्यक्ति हमारा डिलीवरी बॉय है जिसके आने का हम सब को बेसब्री से इंतज़ार रहता है ।यह डिलीवरी बॉय जो हर मौसम की तरह हमारे समानो की सौगात लता है ।

मैं अक्सर ऑनलाइन शॉपिंग किया करती हूँ और एक दिन यही डिलीवरी बॉय बड़ी कड़कड़ाती धूप में मेरा आर्डर डिलीवरी करने के लिए आया । मैं उस वक़त मैं घर पर नहीं थी पर घर के आस पास ही थी । मैंने कहा भैया थोड़ा ५ मिनट रुक जाऐ मैं जल्द ही घर आती हूँ । मैं घर जल्द ही पहुंची मैंने देखा की उस बिचारे के पीठ पर एक बड़ा सा बैग जिसमें अन्य डिलीवरी वाले सामान थे उससे वह पीठ पर लटकाये पसीने से तरबतर देखा । मैंने उससे पूछा भैया पानी पियोगे और उसने बड़ी ज़ोर से सर हिलाते कहा - हाँ मुझे प्यास लगी है । मुझे बड़ी दया आई मगर कुछ सवाल मेरे मन मे उमड़ रहे थे और मैंने जिज्ञासा के साथ सवालो की झर्री लगा दी । डिलीवरी बॉय की एक असमंजस भरी प्रतिक्रिया से मुझे देखने लगा । मैंने भैया से कहा आप घबराइये नहीं मैं आपकी शिकायत नहीं लगाने वाली हूँ । बस सोचा की आपसे आपके काम के बारे मे थोडा पूछ लू । मैंने डिलीवरी वाले भैया से पानी का गिलास वापस लिया और उन्हें विदा किया । मगर इस बार डिलीवरी वाले भैया के जाने के बाद मुझे हर बार की तरह मेरे अंदर पार्सल को खोलने की बेकरारी बिलकुल नहीं थी मगर मन मे एक अलग सी खलबलाहट थी और डिलीवरी वाले भैया के जाने के बाद भी मै यह सोचती रही की यह पैसा किसी किसी से खून पसीना लेता है और किसी के लिए यही पैसा थाली मे परोसा हुआ मिलता हैं । इतनी कड़कड़ाती धूप मे जिसमे इंसान सूख जाता है ऐसे मौसम मे यह कुछ चंद पैसो के लिए गली-गली फिरते हैं । कहने के लिए तो सिर्फ यह पार्सल लाते है । मगर हर सामानो की जिम्मेदारी और उसे समय मे पहुंचाने का दबाव सिर्फ वह ही जानते होंगे ।

काश उनके पास भी एक ऐसा बटन होता जिसमे उसके भी जीवन की घटी को पूरा करने और सपनो के लिए भी एक होम डिलीवरी होती और जो पसंद ना आये उसे रिटर्न फाइल कर देते । मगर जिंदगी इतनी आसान नहीं होती है दोस्तों । जिंदगी संघर्ष का दूसरा नाम है और आज हर एक आदमी पैसो के लिए संघर्ष कर रहा है । मगर एक बात जो सत्य है वो यह है की भले ही धन दौलत सब के पास हो या ना हो मगर हमारे हर एक के पास उससे भी बड़ा धन है और वह है हमारी इंसानियत । मेरे मन मे कई ऐसे सवाल और ख्याल उमड़ रहे थे और इसी बीच मुझे डिलीवरी बॉय से सम्बंधित एक बहुत बड़ा सा विवाद ज़ेहन मे आया जो की कामराज और हीतीशा के बीच हुआ था । कामराज एक जोमाटो का डिलीवरी बॉय था जो बंगलोर मे डिलीवरी का काम करता था । यह पूरा मामला खाना 15 मिनट देरी से पॅहुचने के कारण हुआ था ।

जहाँ हीतीशा डिलीवरी बॉय कामराज को पैसा देने से इंकार कर रही थी क्यूंकि खाना देरी से पंहुचा था और देरी से खाना आना इसका मतलब यह की खाना फ्री मे हीतीशा देना चाहिए। यह पॉलिसी कुछ अन्य कंपनीयो के द्वारा खाना लेट आने पर खाना फ्री दिया जाता था । मगर यह पॉलिसी सब कंपनियों के लिए लागु नहीं थी । मगर क्या हम इतने असहिष्णु बन गए की 15 मिनट खाना लेट से आने पर हम इस प्रकार से बवाल करे । बंगलोर जैसी जगह जहाँ ट्रैफिक जैम होना लाज़मी था । मगर पैसे नहीं देना और डिलीवरी बॉय कामराज को गली देना और उस पर चपल फेंकना यह हमारे पढ़े लिखे अनपढ़ होने का सबूत देता हैं । सभ्यता और इंसानियत पर दाग लगा देने वाला यह विवाद हमारी सोच बताता है की हम अपने से कमजोर और आर्थिक रूप से दुर्बल व्यक्ति के प्रति हमारी नजरिया और सोच क्या हैं । मेरा मनना हैं की बड़ापन कोई उम्र और औधे से नहीं होता बल्कि हम अपने से कमजोर व्यक्ति के प्रति कितने सवेंदनाओ को रखते हैं उससे हमारी बड़ापन झलकता है । थोड़ा सा खाना जो फ्री मे मिल जायें उसके कारण हीतीशा ने अपनी इंसानियत और सभ्यता को तार - तार कर दिया था। जिसके परिणाम स्वरूप एक गरीब डिलीवरी बॉय जिसकी रोज़ी रोटी उसके इस काम से चलती थी । उसे काम से हाथ धोना पड़ा । एक गरीब के पेट मे लात मर कर अपना पेट फ्री मे भरना यह कैसी क्रूरता हैं ।हमारी संवेदना धीरे - धीरे शून्य होती जा रही है । मगर इस विवाद ने बड़ा ही शोर पकड़ा था और ऑनलाइन मे कई यूज़र्स अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे । कोई हीतीशा के लिए आवाज़ उठा रहे थे और कोई कामराज के लिए । मगर जायदातर कामराज के प्रति लोगो की सहानुभूति ज्यादा थी । इस विवाद को विस्तार मे पढ़ने के लिए आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर सकती है

क्या डिलीवरी लेट होने का कारण क्या सिर्फ डिलीवरी बॉय की गलती होती है ? हमें समझाना होगा की यह एक पूरा सिस्टम है और सामानो को आप तक पहुंचाने मे सिर्फ डिलीवरी बॉय ही भागिदार नहीं होता मगर कई लोग काम करते हैं । डिलीवरी बॉय सिर्फ एक सोर्स से उठा कर आपका सामान आपको लाकर देता है । मगर इन डिलीवरी के पीछे कितने डिलीवरी बॉय की कठिन जीवन की कहानियाँ होंगी । कई बिना खाये आपको आपके सामने की डिलीवरी कर रहा होगा और कितने कठिन परिस्थियों से गुजर रहे होंगे मगर इसके परे वह हमारे सामानो को सुरक्षित हम तक पहुँचता है । अक्सर हमारा पार्सल मिल जाने के बाद हमारा लेना देना डिलीवरी बॉय से ख़तम हो जाता है मगर पार्सल देने के बाद डिलीवरी बॉय अक्सर आपको रेटिंग देने के लिए आग्रह जरूर करता होगा । शायद हम इस रेटिंग की अहमियत नहीं समझते है मगर हमारी रेटिंग के कारण ही वह अपनी कंपनी मे एम्प्लोयी ऑफ़ दा मंथ होता होगा । मगर हम रेटिंग देने के लिए भी कंजूसी करते है जिसमे हमारा कोई पैसा भी नहीं लगता है ।

दोस्तों ज़िन्दगी मे हम जितना के लिए अच्छा करते है वह हमारे पास किसी दूसरे रूप मे लौट करआती है । ऐसा ही व्यक्ति जिसकी मेहनत और मशक्कत को हमने बहुत underrated कर दिया है । मै आशा करती हूँ की अब जब आपके दहलीज पर जितने भी डेलिवरी वाले आये उनके इस काम को हम जरूर सराहे और उनके प्रति अपनी संवेदना को जरूर रखे ।

धन्यवाद।

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