Photo by Tatiana Syrikova: pexels

पिता पर क्या लिखू वो तो खुद मे एक ग्रंथ हैं,
पिता के बारे मे लिखने मे हम असमर्थ हैं।
पिता हमारी पहचान है, हमारा ईश्वर हमारी जान है।
पिता हमारी ताकत हमारा अभिमान हैं,
हमारे आने से पहले किसी का बेटा किसी का पति किसी का पोता,
हमारे आने के बाद पिता बन गया ।
हमारे आने की खबर से ही उसका मन सपनो से भर गया।
जिसने हमारा एवं हमारी माँ का पूरे 9 महीने अपनी जान से भी ज़्यादा ध्यान रखा।
जिसकि ऊँगली थाम हमने इस दुनिया मे पहला कदम रखा ।
एक हि पल मे वो हमारी हम उसकी दुनिया बन गये।
हम दोनो के हि जीवन नव सपनो से सज गये।
जिसने हमारे जन्म दिवस को ऐसे मनाया जैसे कोई त्यौहार हो ,
जिसने अपना सब कुछ हमारी खुशियों को न्योछावर कर दिया जैसे पिछले जन्म का कोई उधार हो ।
जिसने हमारी एक छीक पर ही डॉक्टरों की लाइने लगा दी ।
जिसने हमारी पढ़ाई के लिए अपनी पूरी दौलत लुटा दी।
जिसने हमारी सफलता को ऐसे मनाया कि यादगार बन जाये।
जिसने हमे ऐसे पढ़ाया कि जीवन खुशियों से सज जाये।
जिसने हमारे आने के बाद अपने जीवन को भुला दिया।
और अपने जीवन को हमे सफल बनाने मे लगा दिया ।
जिसने हमारे बच्चे को हमसे ज़्यादा प्यार दिया।
जिसने जीवन एक बार फिर मासूम सपनो से सजा दिया।
कहते हैँ इस संसार मे जीवन देने, खुशियां देने एवं पेट भरने वाला भगवान है, पर हमारे लिए तो ये सब पिता ने किया है, अतः हमारे पिता ही हमारे ईश्वर हमारी जान हैं।

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