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ज़िन्दगी में कुछ कर जाने का जज्बा है | लेकिन जज्बा ही से कुछ नहीं होता |अगर आसमान मिल जाये उड़ने के लिए तो क्या फायदा अगर पंख ही न हो |

भगवन ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है - "अब तकदीर बनाने वाले ने तो कुछ कमी नहीं की अब किसको क्या मिला ये तो मुकद्दर की बात है "सच में कभी कभी भगवन पर से बिश्वाश उठ जाता है |सब कहते है की उनकी इशारे के बिना पत्ता तक नहीं हिलता |फिर ये सब कैसे होता है ?किसी को उम्मीद से ज्यादा तो किसीको उम्मीद से कम मिलता है |क्या सच में किस्मत जैसी कोई चीज़ होता है | या सीएफ अपने मन को बहलाने या समझाने के लिए कोई औज़ार|

कोई करते करते थक जाता है लेकिन उसके काम की कोई कदर नहीं होता |दूसरी तरफ दूसरे की काम की वहावही खुद ले जाता है |कैसे भगवन सहते है |ऐसे लोगो को क्या कभी किसी ने सोचा है की एक इंसान को रोटी कपडा और मकान के सिवा क्या जरूरी है? सब सोचते है यही तीन सबसे बड़ी जरूरते है |लेकिन मेरे हिसाब से एक इंसान की सबसे बड़ी जरुरत है उसे कोई जाने या पहचाने |उसकी छोटी छोटी चीज़ो को ध्यान दे | सब लोग तारीफ के भूके होते है | लेकिन आजकल किसके पास समय है किसीकी तारीफ करने की ? अगर देखा जाये तारीफ करने के लिए कम समय चाहिए होता है | क्यूंकि हम लोगो को बुराई करने में ज्यादा मज़ा आता है | ज्यादा शब्द जो मिल जाता है |

मायूसी एक ऐसा एहसास है जो अच्छे अच्छों की दिमागी संतुलन बिगाड़ सकती है |हर एक की जीवन में कभी न कभी ऐसा मोड़ आता है जहाँ दो दिशाएं मिलती है | अब सही राह चुन ने की ज़िमेदारी खुद की होती है | अगर सही राह मिल गयी तो ठीक वरना ......

ऊपर से गलत राह चुन ने पर खुद की जो नुक्सान होती ही है उसके साथ ज्यादा परेशानी लोगो की ताने करती है |कोई किसीकी सफलता पर दिल से खुश नहीं होता |लेकिन हाँ किसीकी असफलता पर दिल से खुश होते है, पर दिखाते ऐसे है मानो जैसे सबसे ज्यादा दुखी वही है |

कभी कभी इस व्यस्त भरी ज़िन्दगी में भूल जाती हूँ की मे भी एक इंसान हूँ

मेरा भी दिल है जो धडकता है; मन है जो खुदकी तारीफ सुनने केलिए मचलता है | मेरे भी अरमान है; इच्छाएं, आशाएं हैं| मेरे दिल को भी तकलीफ होती है जब कोई पीठ पीछे ताना मारता है |लोग ऐसे क्यों करते हैं | क्या कभी वे सब ऐसी बातों का सामना नहीं किये होंगे? अगर किये भी होंगे तो उनको तो तकलीफ का पता होगा | फिर वे कैसे दूसरों के दिलों में सईआं चुभाने से पीछे नाहों हटते | कभी कभी सोचती हूँ ये सिर्फ मेरे साथ ही होता है या सबके साथ | सच में मन मर जाता है; आँखें भर जाती है; दिल का हाल न पूछो तो अच्छा है| शायद मेरे में कोई कमी है लेकिन वो कमी क्या है ?

बता तो दो यार ताकि ठीक कर सकूं | इस दुनिया में किसे अपना और पराया मानूं | अगर एक पल में कोई अच्छा बात करता है तब लगता है की शायद यही सच्चा दोस्त है | फिर उसके साथ अपना सुख दुःख बांटने लगती हूँ लेकिन ऐसा पल भी आता है जब वही इंसान पीठ में खंजर खोंप देता है| लेकिन मैं नासमझ सोचती ही रहती हूँ ऐसा क्यों बदल गया ये इंसान | मुझे कहाँ पता था की वो मेरे साथ छल कर रहा था | 

सच में बहुत बदल गया इंसान !

सच में बहुत बदल गया इंसान !

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