तमस युति त्रास का
आशा उर दीप जले।
दीप्ति मरीचि वितान
वल्लभ व्योम तले।
क्लेश कलौंछ मिटे
दीप बाती संग मिले।
देहरी दीप जगमग
हिय अनंत स्वप्न पले।
कंटक पथ की राह
धैर्य न मन का ढले।
उम्मीद की डोर बंधे
सुख कीर्ति यश फले।
विचक्षण हो विभावरी
अजस्र दृढ़ मग चले।
स्वहित तृष्णा प्रस्मृत
परमार्थ जीवन गले।