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चंचल चांदनी-सी चमकती,
करतल पर हंसती लकीरें।
मृदुल मलयानिल-सम मादक,
स्पर्श-सुगंध बिखेरती धीरे।

कोमल कलियों-सी कुंचित,
अंगुलियां अनुपम अनमोल।
मधुर मधुकलश-सा मणिबंध,
ढलता ढुलकता अनबोल।

शिराओं की सरिता सरसाती,
बहती बेसुध बेताब।
लहरों-सा लहराता जीवन,
उमड़-घुमड़ करता आब।

हस्त-कमल पर हिमकण-से,
टिमटिमाते तारे-से तल।
क्षण-क्षण में क्षीण होते,
फिर भर जाते नव-नव पल।

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