जन्म से हिंदुस्तानी हूं!
खेल में सबका स्वामी हूं !
खेल के मैदान में उतरने से पहले भारत माता का प्राणी हूं!
दिल में ठान लिया है मैंने अपना देश का झंडा ऊंचा लहराने का!
किसकी सीने में है दम हम हिंदुस्तानी खिलाड़ियों को हराने का!
खिलाड़ी हो तो हम हिंदुस्तानी जैसा!(2)
जो अपने को निचोड़ देते हैं भारत का ध्वज ऊपर लहराने का!
इतनी पसीना बहाए हैं दूसरा देश को अपनी काबिलियत से हराने का!
दुश्मनी देश को एक ही संदेशा अपने को सर्वश्रेष्ठ मत समझने का!(2)
भारत अभी जिंदा है तुम्हारी अकल ठिकाने लगाने का!
सर हमारी झुकती नहीं दूसरों का हम झुकाते हैं!
ऐसी खेल खेलते हैं कि सामने वालों की रूह कांप उठ जाते हैं!
हम भारत मिट्टी के बने हुए सबसे ज्यादा मैदान में टिके हुए!
खेलते खेलते तक जाओगे जीतने की चाहत भूल जाओगे!
खट्टा मीठा है हमारा स्वभाव
चकने चले आना हमारे जीत की मिठास और तुम्हारी हार की खट्टास!
जय हिंद!

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