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जमीन पर रहूं या ख्वाब आसमान के ले उड़ू...
पंख जो मिले हैं उड़ान तो भर लूं |
खुद ही से बेखुदी कर लूं...
मशहूर होना है मुझे अपनी नजरों  में,
मशगूल होना भी तो जरूरी है।।
उड़ान भरने  के लिए जमीन भी तो जरूरी है...
जिंदगी बाहें पसारे खड़ी है,
मन कहता है उड़ान तो भर लूं,...
जमीन पर रहूं या ख्वाब आसमान के ले उड़ू...
भरनी है मुझे भी उड़ान ,पंख जो मिले हैं ।
कब तक करो खुद से ऐसी बेखुदी,
कुछ सपने दिखाए हैं उसने, पूरा उनको थोड़ा तो कर लूं।
जिंदगी दिखाती है हजार रंग,
ख्वाब आसमान उड़ने के ऐसे ही नहीं पूरे होते,
जिंदगी दिखाती है हजार रंग,
अब आसमान  में उड़ने के ऐसे ही नहीं पूरे होते...
जब उड़ेंगे तो गिरेंगे, फिर उड़ेंगे फिर भरेंगे उड़ान ।
जमीन पर रहूं या उड़ान भर लूं,
ख्वाब आसमान में उड़ने के ऐसे ही पूरे नहीं होते,
ना होता है सफर सुकून से जुनून तक का...
ऊंची उड़ान यूं ही नहीं देता पूरा आसमान।
पर अकेले करना होता है तय,
पंख मिले हैं तो उड़ान जरूर भर लूं,
पूरा नहीं तो कुछ आसमान अपने नाम कर लूं,
मशहूर लोग ऐसे ही नहीं होते कुछ खुद को है  पाते,
कुछ खुद को है खोते...
जमीन पर रहूं या ख्वाब आसमान के लिए उडूं...
उड़ान ऊंची भर लूं...

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