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मन की दहलीज़ पर, जलता हुआ दिया,
नन्हा सा प्यारा सा, यादों का दिया.
वक़्त से लड़ कर भी जो, अडिग रहा जलता रहा
सुना रहा है आज वह, सदियों की दास्ता.
गुज़रे पल की कुछ बातें, कुछ खट्टी मीठी यादें,
कभी हंसाते, कभी रुलाते लम्हो की सौगाते
आज ये नन्हा दिया, वो कल मुझको दिखला रहा
जीवन की लम्बी राहों पर, मिलते रहते हैं मोड़ कई,
कुछ समय की गर्दिश में खोते, कुछ अंकित करते छाप नई
वो भूली बिसरी यादे, बीते कल की कुछ बाते
मेरी बिलकुल अपनी हैं सुधियों की ये सौगाते
कभी घूमाती है हमको ये बचपन के गलियारों में,
जहाँ सजी थी दुनिया अपनी, नभ के चाँद सितारों में.
चंदा की वो बूढी दादी, कितनी अपनी लगती थी,
तारो की बारात सजा कर, हमे बुलाया करती थी
वो खेल खिलौने, वो सखियाँ, सारे ही कितने प्यारे थे
ज्यों चंदा मामा ने वो सब, मेरी राहो में वारे थे।
उन मधुर पलो की वो खुशबू मन को मेरे महकाती है
पलकों के आंसू पोंछ पोछ जीने की राह दिखा ती है
जीवन कांटो की डगर सही ,यादो के फूल हमारे हैं
ये खट्टी मीठी सौगाते, हमको प्राणो से प्यारे हैं.
मेरी हर तनहाई ये दिया ही रोशन करता है
क्या पाया और क्या खोया, मुझको ये समझाता है.
ये दिया दिखाता है सबकुछ, वो लम्हे याद दिलाता है,
जिन बीते पल की यादो से, मैंने संसार सजाया है.
ये दिया मेरा हमसाया है, हमसफ़र यही है राहो का,
मेरा परिचय खुद मुझसे, ये दिया कराता जाता है.

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