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अजब है ये ज़िंदगी , गजब है ये जिन्दगी ,
कर रहा हर आदमी ,सदा ही इसकी बंदगी
उलझनों से भरी ,अबूझ ये पहेली है ,
कभी निभाती दुश्मनी,कभी बने सहेली है ,
मिर्च सी तीखी कभी, खाड सी मीठी कभी ,
नीम सी कड़वी भी है ,और कभी फीकी भी है ,
अलग अलग बोध से ,भरी है ये ज़िन्दगी ,
कर रहा हर आदमी, सदा ही इसकी बंदगी .
इसकी शाख पर खिले , पुष्प रंग रंग के ,
ग़म के भी , ख़ुशी के भी ,रंजिशों के , प्यार के ,
अलग अलग सुगंध से ,अलग अलग बहार से ,
महक रही ये ज़िन्दगी ,
चहक रही ये ज़िन्दगी
कर रहा हर आदमी , सदा ही इसकी बंदगी .
इन्द्रधनुष सी सजी , नार ये नवेली है ,
कदम कदम चले सदा, मीत अ लबेली है ,
रात सी काली कभी ये , कभी छणिक उ जा स है ,
प्यार दूँ , करू गिला , ये दिल के आस पास है ,
ख़ुशी गमी के रंग से , है सजी ये ज़िन्दगी .
कर रहा हर आदमी , सदा ही इसकी बंदगी .
हर किसी के लिए , अलग सी ये बयार है ,
मासूम आंख में सजे , सपन की बहार है ,
कर्मठों के लिए , कर्म की पुकार है ,
अनुभवों से सजी , किताब है ये ज़िन्दगी ,
छांव है कभी तो ये , कभी सुनहरी रौशनी .
कर रहा हर आदमी , सदा ही इसकी बंदगी .
रंग ये बदलती है , रूप ये बदलती है ,
हास , अश्रु से यही , श्रृंगार अपना करती है ,
शांत कभी सागर जैसी ये, कभी अल्हड तूफानी है ,
हर कदम हर मोड़ पर, अनबुझ एक कहानी है ,
राज़ न इसका जाने कोई, सबको ये भरमाती है ,
अपने हर सवाल का जवाब भी है ज़िन्दगी। 

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