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    आभार 
आपने यह अनमोल जीवन दिया परवरदिगार 
कैसे प्रकट करूं तेरा आभार इतने दिए उपहार 
शशि , धरा ,वारी अग्नि सबके पृथक व्यवहार 
प्राण वायु देकर तरू बनते जीवन की नैया के पतवार
प्रकृति के पांचो तत्व बनते वजूद का आधार 
जीवन को समृद्ध बनाए चलाए ये विशाल संसार
एक बरस के मौसम भी दिए चार
ये ऋतुऐं करे धरा का श्रृंगार
जो नवजीवन ,उत्साह का करे संचार
वातावरण में सामंजस्य बनाकर लाए बहार 
जन्म संचालक माता-पिता दिए जो देते जीवन को आकार
सुख दुख को बांटने के लिए दिया परिवार 
गुरुजनों के सानिध्य में होता त्रुटियों में सुधार
जीभ की रसना के लिए दिए विभिन्न आहार 
हृदय भी स्पंदन करता दिन में लाख बार 
विवेक का खजाना देकर बनाया समझदार 
मनोरंजन के साधन दिए बेशुमार
हर नियामत में छिपा ज्ञान का अदभुत भंडार
अनगिनत रहमतों के लिए जाएं तुझ पर बलिहार
इतनी सुख सुविधाओं के लिए आपको कोटि-कोटि नमस्कार 
नतमस्तक है आपके आभारों
 के सभी नर और नार।

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