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दगी की कई उधेड़ बुन आसानी से सुलझ जाती है अगर तुम साथ हो तो।

दुख की काली चादर सुखों के रंगों से रंगीन हो जाती है अगर तुम साथ हो तो।
बीजगणित सा कठिन जिंदगी सरल छंद बन जाती है अगर तुम साथ हो तो।
घुप्प अंधेरी रात भी प्रकाशमय सुनहरी सुबह बन जाती है अगर तुम साथ हो तो।
बिखरी बिखरी जुल्फे भी संवर जाती है अगर तुम साथ हो तो।
थमे पहिए सी जिंदगी भी तीव्र रफ्तार की बन जाती है अगर तुम साथ हो तो।
गमों की दवाई भी खुशी का रस बनकर मीठी हो जाती है अगर तुम साथ हो तो।
कल्पित रचना भी कविता बन जाती है अगर तुम साथ हो तो प्रियवर।

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