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बारह महीनों की यात्रा करते
अंतिम पड़ाव पर पूर्ण विराम लगाते
नया सफर इंतजार कर रहा है
एक बार फिर नए साल का आगाज हो रहा है।
यादों की किताब से हर पन्ने को सरकाते
अपने भविष्य को खखोरते
नए कैलेंडर का निर्माण हो रहा है
एक बार फिर नए साल का आगाज हो रहा है।
गुजरते हुए साल के उतार-चढ़ाव को समेटते
पिछले दिनों की झलकियों से सीखते
धीरे धीरे वक्त हाथ से फिसल रहा है
एक बार फिर नए साल का आगाज हो रहा है।
भीतर जली हुई हर ख्वाहिशों को सुलगाते
संघर्ष से विश्राम की चाहत को रखते
हृदय नई आशा और उम्मीद से बंध रहा है
एक बार फिर नए साल का आगाज हो रहा है।
खुदा की नियामतों का आभार प्रकट करते
दुनिया की दौड़ में स्वयं को परखते
इतिहास को बदलने की कोशिश कर रहा है
एक बार फिर नए साल का आगाज हो रहा है।
कर्मों के जोड़ घटाव में उलझते
नए बदलाव को स्वीकार करते
अच्छे चरित्र का पथ पखार रहा है
एक बार फिर नए साल का आगाज हो रहा है।