आजकल सभी के बच्चे घर से दूर रहते हैं तो हम अपना ज्ञान अपनी भावनाएं अच्छे से उनके साथ साझा नही कर पाते हैं।वह डिजिटल दुनिया में गुम रहते हैं। ऐसे में मेरा यह पत्र बच्चों को डिजिटल दुनिया से दूर पत्रों की दुनिया में ले जाने का प्रयास है।
प्रिय आदी,
तुम्हारी खुशहाली की कामना करते हुए यह पत्र आरंभ कर रही हूं। तुम्हारे मन में कई सवाल उठ रहे होंगे यह क्या हो रहा है इस डिजिटल युग में पत्र की क्या आवश्यकता हो गई तुम्हारी मम्मी को तो दिमाग के घोड़े दौड़ाना बंद करो और और मेरे विचारों को ध्यान से पढ़ो मैं हमेशा से ही तुम्हें एक एक परिपक्व इंसान बनाना चाहती थी जिसमें मैं काफी हद तक सफल रही हूं मुझे लगता है तुम्हें आगे पीछे हर चीज की जानकारी हो तो मैंने सोचा कि तुम्हें पत्र के महत्व के बारे में आज बताऊं कि इसकी आवश्यकता क्यों है? तो पत्र की यात्रा शुरू करते हैं ।
मेरे पत्र लिखने का प्रथम उद्देश्य यही है कि मुझे तुम्हें इस डिजिटल युग में पत्र के महत्व के बारे में बताना है तुम सोचोगे कि यह सब चीज तो मैं फोन पर भी बता सकती थी लेकिन नहीं ,अपनी दिल की अभिव्यक्ति लिखकर अच्छे से व्यक्त कर सकते हैं । व्हाट्सएप फेसबुक में वो अपनापन कहां। एक आभासी दुनिया में जी रहे है।अभी तुम पढ़ने के लिए मुझे इतनी दूर गए हो तुम्हे कदम कदम पर मेरी जरूरत रहेगी कई बातें होती है जो बोल चाल की भाषा में नहीं लिखित में समझ में आती हैं। अपने विचारों को प्रकट करने के लिए लेखन एक सशक्त माध्यम है।पत्र में जो प्यार की खुशबू वह अपनापन है वो तुम्हारे सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म पर नहीं मिलेगा बस यहां से कॉपी किया और वहां चिपका डाला अपना तो कुछ नहीं बस दूसरों की उधारी शब्द है। गूगल भी तुम्हें बाहरी ज्ञान देगा जीवन जीने का तरीका तो नहीं बताएगा।तुम्हें किसी मुसीबत से बाहर नहीं निकलेगा। मेरा यह पत्र लिखने का दूसरा उद्देश्य है कि तुम जब भी असमंजस में हो तो यह पत्र तुम्हें दुविधा से जरूर निकालेगा।तुम ठोकर खाकर इधर-उधर भटकोगे नहीं सही राह को चुनोगे तो जो भी तुम करो वह अपना करो भेड़ चाल से आगे नहीं बढ़ो। क्योंकि मेरा मानना है की नकल करके तुम इमारत तो बना लोगे मगर उस इमारत की नींव मजबूत न होगी और इस इमारत के ढह जाने का डर भी रहेगा ।जीवन के इस युद्ध क्षेत्र में दूसरों के द्वारा हकाले हुए पशु ना बनो इस कर्म क्षेत्र में एक हीरो बनो ।
सूर्य की तरह सदा चमकते रहना चाहते हो तो उसकी तरह परिश्रम की अग्नि में भी तुम्हें तपना होगा और समय के नियम को निभाना होगा जितना अधिक तुम तपोगे उतना ही अधिक सफल रहोगे।और इस नियम को समझकर आलस्य और उतावलेपन को दूर करना है।
इस पत्रों के माध्यम से हमारी भावनात्मक परते दूसरे से जुड़ी रहेंगी मेरे शब्दों की गर्माहट से तुम्हारे इर्द-गिर्द जमी परेशानियां भी पिघल जायेंगी ।यह पत्र तुम्हारा जीवन भी बदल सकता है बस जरूरत है ईमानदारी से जुड़ने की। डिजिटल दुनिया से तो रिश्ता बाजारी सा लगता है और खतों की दुनिया से रिश्ता अपना लगता है ।डिजिटल रुपी सीलन ने हमारे रिश्तों रुपी दीवार को कमजोर कर दिया है पत्रों के द्वारा दीवारों को पेंट करना है जिससे रिश्ते रुपी दीवारें फूलों की तरह महक उठे।
अभिलाषाओं के जंगल में खो न जाना मिथ्याओं की मरीचिका में भटक न जाना। इस पत्र का मंथन करना और सही दिशा को प्राप्त करना ।
उम्मीद करती हूं यह पत्र तुम्हारा सही मार्गदर्शन करेगा यह पत्र मेरी कमी पूरी तो नहीं करेगा पर मेरे होने का ऐसा तुम्हारे आसपास ही होगा मेरे मौजूद न रहने पर भी उसने मेरा व्यक्तित्व झलकेगा। मुझे आशा है कि यह पत्र तुम अमूल्य निधि के रूप में अपने पास सहेज कर रखोगे अंत में यही कहना चाहूंगी तू बड़ा नादान मेरा मेरी जान बस धैर्य रख ,संतोषी बन ,क्रोध को कम कर बस हो गया हर काम आसान ।
विचारों की श्रृंखला को यहीं समाप्त करती हूं और हां अगर तुम और अपनी समस्याओं का समाधान चाहते हो तो इसके लिए देना होगा तुम्हें एक भुगतान । तुम्हारा एक पत्र है इस समस्या का समाधान ।
तुम्हारी मम्मी
कशिश.