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जाने क्यूं आज का कृष्ण मौन है
नित होता द्रोपदी का चीर हरण है।
चीख चित्कार उसकी सुनता कौन है
फिर भी जाने क्यूं आज का कृष्ण मौन है।
उपदेशक ही बन जाते भक्षक है
भटके हुए प्राणियों को ना सिखाता कोई सबक है।
फिर भी ना जाने क्यूं आज का कृष्ण मौन है।
आज भी सुदामा गरीबी में गोता लगा रहा है
धनाढ्य सेठ मजबूरी का लाभ उठाता जा रहा है
फिर भी जाने क्यूं आज का कृष्ण मौन है।
शकुनि जैसे नेताओं का छल अभी भी जारी है
जनमानस को हानि पहुंचाना अभी भी जारी है
फिर भी जाने क्यूं आज का कृष्ण मौन है।
कितने अर्जुन दिग्भ्रमित हो राह भटक रहे हैं
गलत सारथी के कारण फांसी को लटक रहे हैं
फिर भी ना जाने क्यूं आज का कृष्ण मौन है।
स्वार्थ में सारी दुनिया पड़ी है
परमार्थ की किसको पड़ी है
फिर भी जाने क्यूं आज का कृष्ण मौन है।