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सुनो बहनों
मां ने तो भेजा होगा मनुहार
तो जब जाओगी मायके इस बार
तो ससुराल में छोड़ आना अहंकार
क्रोध को वश में रखना ना देना किसी को फटकार
शिकवे गिले पीछे छोड़ कर ले जाना रंगीन उपहार
नेग कम ज्यादा देने पर भाभी से ना करना तकरार
हिमशिखर सी शांत और स्थिर रखना अपना व्यवहार
अपनी मासूमियत को रखना बरकरार
अपने शुद्ध आचरण से स्नेह की बने रहना हकदार
भाई भाभी का घर है ,तुम्हारा ना कोई अधिकार।
मायके की क्यारी कि तुम हो पुरानी डाल
जड़ें अपनी फैलाओ अपने घर ,वह है तुम्हारा ससुराल
इस उपवन का करके श्रृंगार रहो तुम खुशहाल
विवाह को भी बीत गए कई साल
अब बदलो तुम अपनी चाल
मायके के आंगन में नवीन कलियों को खिलने दो फिलहाल
वहीं है मायके का वर्तमान तुम हो भूतकाल।

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