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कहते हैं जब मिरखशाह हुआ अति अत्याचारी
तब अवतरित हुए हमारे दरिया शाह अवतारी। 
बाल्यकाल में लीला करते ऐसे ये चमत्कारी
झूला स्वयं झूलता सो झूलेलाल बोले दुनिया सारी।
धर्मांतरण को रोका, धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाया
ईश्वर अल्लाह एक है बताकर सहिष्णुता का दीप जलाया।
सद्भभावना और भाईचारे को बढ़ाया 
दुखों का निवारण का जीवन की नैया को पार लगाया।
चैत्र शुक्ल पक्ष को मत्स्य की करके सवारी 
आए हमारे झूलेलाल सुखकारी।
लेकर पूजा के थाल करें हम बहराणे की तैयारी 
छेज करते हर्षित है आज सकल नर और नारी।

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