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जीवन कर्मों का फल योग है
सुख दुख के कारक कर्मों का सहयोग है।
जो गढ़ते हम वर्तमान में
वो कर्म चले जाते क्रियमान में।

जो भोग रहे हैं प्रारब्ध कर्मों का खाता है
जो शेष बचते हैं संचित कर्मों में जाता है।
कर्म का सिद्धांत तो अटल है
इसमें ना होता कोई छल है
काम ना आता कोई बल है
हिसाब देना तो हर पल है
भक्ति एकमात्र इसका हल है जीतता वही है जिसकी इच्छा शक्ति प्रबल है।

कर्मों का जोड़ घटाव ही भविष्य बनाते
पर हम कर्मों के गणित को समझ नहीं पाते
कर्मों के दलदल में धंसते ही चले जाते
धन ,यशअर्जन वंश वृद्धि का फर्ज निभाते
लेन देन के चक्कर में ईश्वर को भुलाते
व्यर्थ की गफलत में मानस जीवन को खपाते।

अभी भी वक्त है रोक ले अपना पतन
जीवन का कर गहराई से मंथन
परमात्मा से लीव जोड़ ,कर ध्यान भजन
तभी तो होगा ईश्वर से अटूट गठबंधन
चौरासी से मुक्ति होगी ना होगा आवागमन
बस निष्पक्ष,सन्मार्ग की राह अपनाकर कर ले प्रभु चिंतन।

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