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चालीस के पार जिंदगी सुहानी लगती है

जिम्मेदारियों की गठरी भी बढ़ती जाती है

पर बोझ उठाने की तकनीक भी तो आ जाती है

चालीस के पार जिंदगी सुहानी लगती है।


लोग क्या कहेंगे इसकी लोड़ न होती है

अधूरे सपने पूर्ण करने की होड़ होती है

चालीस के बाद जिंदगी सुहानी लगती है।


ना किसी से खौफ,अजब सी निडरता आ जाती है

दुनियादारी की समझ में तो परिपूर्णता आ जाती है

चालीस के बाद जिंदगी सुहानी लगती है।


जीवन के इस दौर में अपना लेते सब रंग

भाए युवा वर्ग की टोली भाए बुजुर्गों के सत्संग

तजुर्बे से आसान सी जिंदगी हो जाती है

चालीस के बाद जिंदगी सुहानी लगती है।


उम्र की लकीरें भी साफ दिखाई देने लगती है

पर विभिन्न प्रयोगो से धुंधली भी तो हो जाती है

सादा जीवन उच्च विचार वाली सोच हो जाती है

चालीस के बाद जिंदगी सुहानी लगती है।

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