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मोबाइल के इस दौर में कम हो गया लोगो से मिलना जुलना
सोशल मीडिया के माध्यम से दी जाती है बधाइयां।
आपसी मेलजोल से ही तो वार्तालाप होगी
ऐसे तो भावी पीढ़ी की मानसिकता क्षीण होगी।
ये देख चंहु दिस के जन हैं परेशान
आखिर कैसा होगा युवा पीढ़ी का उत्थान।
जब होगा गुझिया और सेवई का आदान प्रदान
तभी तो कर पाएंगे एक दूसरे के धर्म का सम्मान।
बिना मेल मिलाप के रिश्तों से रहेंगे अपरिचित
सामाजिकता, अपनापन सहयोग एकता और व्याहारिकता इन गुणों ।आने वाली पीढ़ी रहेगी सीमित।
तो जारी रखे सभी मिलना जुलना
नही तो इसका परिणाम हमे ही है भुगतना।।