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परातंत्र की बेड़ियों को काटकर हुए हम स्वतंत्र
बना कानून, बनी धाराएं फिर बना हमारा गणतंत्र।
सत्यमेव जयते ,वंदे मातरम, का अपनाया मंत्र 
धर्मनिरपेक्ष स्वदेश, समन्वय का बना प्रजातंत्र। 
त्याग तपस्या और बलिदानों से बना गणतंत्र 
जनमानस की आस और प्रेम से बना लोकतंत्र।
कितने पन्नों में गौरवान्वित भारत तेरा करूं बखान 
हर भारत वासियों का तू है स्वाभिमान 
जहां हर धर्म संप्रदाय को मिलता एक सा सम्मान
विविधता में एकता है तुम्हारी पहचान 
पर्वतों को राज नदियों को दे माता सा मान 
सभी भारतवासी मांगे यह वरदान 
भारत पुनः बने सोने की चिड़िया हो भारत का यशोगान।

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