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रिश्तो को प्रेम से अभिसिंचित करना है जरूरी
नहीं तो रिश्तो में आ जाए फासले हो जाए दूरी।
रिश्तो की बनावट में हो समर्पण की भावना
अन्यथा दरारों की बन जाती है संभावना।
लहजे में मर्यादा हर रिश्ते की मजबूत डोर
शालीनता इसे बरकरार रखें नहीं तो रहता शिकायतो का शोर।
छोटे-छोटे एहसास ही रिश्तों का जोड़
अनुराग को जीवंत रख भरोसा ना तोड़।
रिश्तो में ध्यान ना दो बुराई पर
जमे रहो एक दूसरे की अच्छाई पर।
मिश्रित हो जाए भावनाओं में दुर्भाव
भीतर की मधुरता से दूर करो बुरा प्रभाव।
अगर जारी रहे नाराजगियों का भाव
प्रशंसा के बांध से खत्म करो मन मुटाव।
रिश्ते जिंदगी के सबसे खूबसूरत खजाने
वक्त का दान देकर एक दूसरे को पहचाने।
माफी धन्यवाद दो शब्दों का सदा प्रयोग
अनुभव कहता है इस्तेमाल से इनके ना होता वियोग।
दोनों तरफ से कोशिश हो तो रिश्तों में आए निखार
समय और स्नेह के सानिध्य में मधुर बनता व्यवहार।