Image by Agung Setiawan from Pixabay

स्थूल शरीर से दूर सुक्ष्म शरीर की दुनिया 
जिसमें समाहित कई ब्रह्मांड कई पृथ्वियां
लाखों सूरज और चांद की रोशनियां
आत्मा जैसे चढ़ती जाए रूहानियत की सीढ़ियां 
सीढ़ी दर सीढ़ी मिलती जाए वो रहस्यमई दुनिया 
फिर मिटती जाए परमात्मा से दूरियां 
कोयल से सुरीली तान ,सुनाई दे ऐसी ध्वनियां 
शिव का आहद नाद जैसे बजे मंदिर की घंटियां 
देख भीतर की अनमोल कंचन मिट जाए सारी गलतफहमियां 
प्रकाशमय ज्योति स्वरूप में समाकर भूल जाते हैं सारे दुख और परेशानियां।

.    .    .

Discus