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कभी हसाता है कभी रुलाता है,
ए दिल तु क्यूँ बार-बार बैचेन हो जाता है||

कभी किसीकी यादे ताज़ा कराता है तो कभी किसीका दिल जलाता है, 
ए दिल तु आखिर क्या चाहता है||

कभी सपने दिखाता है तो कभी सपने तुडाता ए
 दिल तु क्यूँ बार-बार बदल जाता है||

कभी किसीको निडर बनाता है तो कभी किसीको कमजोर बना देता है, 
ए दिल तु क्यूँ थम जाता है||

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