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कहो किससे तुलना करें तुम्हारी?
चाँद भी नहीं कह सकते, क्यूंकि तुम मैं कोई दाग़ नहीं,
फूल भी नहीं कह सकते क्यूंकि तुम मुरझाती नहीं,
मौसम भी नहीं कह सकते क्यूंकि तुम बदलती नहीं,
कहो किससे तुलना करें तुम्हारी?
तुम्हे एक सुहानी शाम कहू या उस शाम के ढलने की रौशनी,
तुम्हे शराब कहू या उससे बढ़ता नशा,
तुम्हे अपना प्रेम पत्र कहू या उसमे लिखें अलफ़ाज़,
कहो किससे तुलना करें तुम्हारी,
खूबसूरत हैं ये सब पर तुम्हारी तुलना किससे करू?
ना तो तुम सा कोई हैं और ना कोई होगा, तो बताओ इसमें मैं क्या करू?
कहो किससे तुलना करें तुम्हारी?