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एक ख़ूबसूरत दुनिया की,
एक ख़ूबसूरत कहानी,
सुनकर आप ही बताओ,
क्या है ये मनुष्य जीवन रूहानी?
एक राजा था किसी नगर का,
मनुष्य उसका नाम,
पाठ पढ़ता अहिंसा का,
फ़िर भी कर्ता क्रुता भरा काम ।
अपने अलीशान महल में बैठे,
मजेसे खाता रोटी,
सोने के लिए बडासा बिस्तर,
पहनता सोना और मोती।
हर सुबह की शुरुआत,
पूजा पाठ से ही करता,
कहीं प्रार्थना, कहीं नाम जप,
पर काम में तो क्रुरता।
लहराते खेत फसलें छोड़,
मासूम जानवरों को खाता,
ना जाने कैसे उसको
ख़ून भरा खाना भाता?
अपने शरीर को मजबूत करने,
दूध भी उनसे छीना,
जैसे उसकी जिंदगी ख़तम ही होती
एक गिलास दूध के बिना।
कपड़े भी तो आये उसके,
चमचमाती रेशम भरे,
वो चमक तो थी किसी के मौत की,
ये बेहजुबन आखिर क्या करे?
चप्पल इसकी चमड़े की,
ख़ूब पैरों पर जज़ती,
उसके खातिर जो जाने गई,
कभी सोचा उनपर क्या बितती?
किसी महानुभाव ने एकदिन,
उसको दिखाया उसी का रूप,
कहता है जो खुद को आती बुद्धिमान,
मनुष्य योनि का क्या है स्वरुप?
प्रेम, स्नेह, ममता जैसे
शब्द जिन मनुष्यों ने बनाएं,
दुःख भरी बात तो यह है,
की उनका अर्थ वही न जान पाए।
इसलिए बताओ जरा की,
एक ख़ूबसूरत दुनिया की
एक ख़ूबसूरत कहानी,
सुन तो आप चुके हो, बताओ फिर
क्या है ये मनुष्य जीवन रूहानी?