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अपने ख्वाब रखते ख्वाबो में। कुर्बानिया होती हकीकत में।
जख्मी होते बदन पे, आसू छुपते आँखो में।
हमारा इश्क रहता सीने में, दोस्ती बताते बातों में।
हाथ मिलाते लाखों से, हाथ लगाता न कोई लाखों में।
ना जाने क्या खास होता है हम लड़कों में?

गैरो को भी अपना करते, अपने ढूंढे गैरो में।
मदद करते दुनिया की, दुनिया रहती अपने मतलब में।
जिमेदारिया रखे कंधो पर, कंधा देता ना कोई जनाजो में।
हारे चाहे हज़ारो दफ़ा, रहते खुश हर हालातो में।
ना जाने क्या खास होता है हम लड़कों में?

लड़ते हम हैं सरहद पर, हमारी खबरें अति अखबारों में
किचती हमारी तस्वीरें भी, टंग जाती फिर वो दीवारों पे।
हसता चेहरा रखे उजालो में, आंखे गिली करते हम भी तो रातो में।
थक हार कर, जन्नत ढूंढते है हम भी तो माँ के पल्लू में .
सब कुछ सहते, कुछ कहते नहीं,
ना जाने क्या खास होता है हम लड़कों में

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