ना त्याग का अंश, ना तप की लहर,
बस दिल में बसी, वो छोटी सी डगर।
जहां कदम रुक गए, सांसें ठहर गईं,
कुछ बातें अधूरी, कुछ यादें ठहर गईं।
ना आसमान झुका, ना धरती हिली,
बस समय की गोद में, यादें खिली।
ना माला, ना मोती, ना दीप जले,
पर मन के कोने में, सुराग पले।
ना तप का तेज, ना त्याग की छाया,
बस रिश्तों के धागे, और प्रेम की माया।
कुछ कदम अनजान, कुछ रास्ते बिखरे,
पर यादों के परिंदे, हर पथ पर उभरे।
ना त्याग, ना तप, फिर भी कुछ रहेगा,
तेरी मुस्कान का निशान, दिल में सहेगा।
जहां गूंजेगा तेरा नाम, हवा में बहकर,
वहीं होगा वो क्षण, जो समय से कहकर।
क्योंकि जीवन के सागर में, जो लहरें उठती हैं,
वो त्याग से नहीं, प्रेम से बहती हैं।
ना तप, ना त्याग, बस वो अहसास बचेगा,
जो दिल की किताबों में, हमेशा रचेगा।