माँ,
पता नहीं आज घर क्यों इतना याद आ रहा है|
पता नहीं क्यों दिल बहुत घबरा रहा है|
माँ,
आज घर बहुत याद आ रहा है|
आज वही पुरानी वाली ठीस महसूस हो रही है|
आज वही पुराना वाला डर सता रहा है|
मां,
आज घर बहुत याद आ रहा है|
अपने आप ही आंखों से आसूं बह रहे हैं
आज रोज वाली वो हंसी नहीं हस पा रहा हूं।
मां
आज घर बहुत याद आ रहा है|
आज बहुत अकेला पा रहा हूं अपने आप को|
आज तो लोगो की भीड़ में भी घुल नही पा रहा हूं|
मां,
आज घर बहुत याद आ रहा है|
तुझे दिल खोल के सब बताना चाहता हूं पर बता नहीं पा रहा हूं|
आज पता नहीं क्यों अपने आप को बहुत कमजोर पर रहा हूं|
माँ,
क्यूँ कभी कभी अपना सपना जीना ही इतना मुश्किल लगता है|
क्यों हम सब कुछ जीत कर भी हार जाते हैं|
क्यु उस हार का दर्द इतना सताता हैं|
माँ,
आज तेरा बच्चा अपने आप को बहुत हारा सा पा रहा है|
मां आज घर बहुत याद आ रहा हैं|
माँ,
आज तेरी वही गोदी में सिर रख कर सोने का दिल चाह रहा हैं|
पापा का वो प्यार से बार बार बुलाना याद आ रहा हैं|
आज वाकई में घर बहुत याद आ रहा हैं|