हम अपनी इस छोटी सी जिंदगी में ना जाने कितने लोगो से मिलते हैं। कुछ से बातें होती हैं,कुछ सिर्फ मुसकुरा कर अपनी छाप छोड़ जाते हैं, कुछ को हम नज़रंदाज़ कर देते हैं और कुछ हमें।
जिंदगी के सफर में कुछ लोग ही हमें याद रह जाते हैं। समय के साथ उनकी भी यादें धुंधली सी होती जाती है। पर दोस्ती की यादें, उसमें बिताये वो खुबसूरत पल और वो दोस्त कभी भूले नहीं जाते। हम सबको अपने बचपन से लेकर अपने बुढ़ापे तक के सभी अपने दोस्त याद होते हैं। एक का भी नाम भूल नहीं सकते हम। और बुढ़ापे की दोस्ती तो ऐसी होती है जो हर स्टेज पार कर चुकी होती है। दोस्तों का इतना लंबा साथ भी किसी जीवनसाथी के साथ से कहाँ ही कम होता हैं।
इंसान अपनी जिंदगी में एक अपना खास दोस्त चाहता है। जो सबसे करीब होता है, जो हमारे बारे में सब जानता हूं। जो हमें सुने, समझे और हमारी खुशी में खुश हो। हम चाहते हैं कि एक ऐसा दोस्त हो लेकिन कभी खुद बनना नहीं चाहते किसी के लिए। और अगर बन भी जाए तो हम कैसे कह सकते हैं कि वो भी हमें उतना ही अपना मानता है जितना हम उन्हें। कितना अजीब लगता है जब हमें पता लगता है आपके खास दोस्त के और बहुत खास दोस्त है।
पर दोस्ती तो है ही ऐसी इसमें कहां ही मतलब देखे जाते हैं। हमें तो बस वो इंसान अच्छा लगने लगता हैं!
स्कूल की दोस्ती की बात ही अलग होती है। साथ में हँसना, मजे करना, बाते करना, समय बिताना। कितना अच्छा लगता है ये सब, इन्ही सब में हम उस इंसान को अपना खास बनाते चले जाते हैं। छोटी छोटी चीजें करके उन्हें खुश रखना चाहते हैं। वो भी क्या किसी प्यार से कम होता है।
स्कूल के बाद तो सब अपनी-अपनी राह निकल जाते हैं। समय समय पर उनका हाल चाल पूछते रहना। समय समय पर उन्हें याद दिलाना तुम सही जा रहे हो, जो करना चाहते हो करो हम हमेशा साथ हैं!
कभी हमारा अपना भी तो कठिन समय आता हैं। हमें भी वो साथ चाहिए होता है कोई हमसे भी पूछे हम कैसे हैं। हमारे अंदर क्या चल रहा है, बात करना चाहते हैं अपने दोस्त से। लेकिन सब कुछ हमेशा एक सा कहा ही रहता है। आपके मैसेज अनदेखे के अनदेखे रह जाते हैं। धीरे-धीरे बात कम हो जाना। कब तक एक इंसान अपनी तरफ से प्रयास करता रहे। वो भी एक बार को हार जाता है। ना जाने कैसे कुछ मिलों की दुरी, ये दिलों की दुरी बड़ा देती है। कैसे सब कुछ धीरे धीरे अजीब होने लगता है।
सब नई नई जगह पर चले जाते हैं, नये दोस्त बन जाते हैं हमारे भी और उनके भी। लेकिन मुझ जैसे कुछ लोग के वो अब भी खास दोस्त हैं। जिनकी जगह कोई नहीं ले सकता।
कुछ नया मिल जाए तो क्या जरूरी है पुरानों को भूल जाना। कोई क्यूँ नहीं सोचता कि वो पुराना दोस्त भी तो आपका इंतज़ार करता है।
लेकिन क्या करे समय के साथ ढलना पड़ता है। कब तक किसी के पीछे भाग सकते हैं! आप बस इन्हीं सब चीजों से डील ही कर रहे होते हैं , अब हम फिर से अकेले हैं।
लेकिन टाइमिंग देखिये आपका वो दोस्त आपको अचानक याद करता है। फिर जो सब चीजों में उलझने लगता है हम। हम कभी बात ही नहीं करते कि इतनी दूरी कैसे आ गई ।
कहाँ हमारी दोस्ती कमजोर रह गई। क्यू एक दोस्त दूसरे को बीच में छोड़ कर गया। यहीं तो दोस्ती का ब्रेकअप है! ये दोस्ती का ब्रेकअप भी किसी रिलेशनशिप के ब्रेकअप से कहाँ कम होता है।