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सब ने पूछा वो तो जा रहा है न?
मैने सिर हिला कर जवाब दिया "हां"।
फ़िर वे बोले, अब तू उसके बिन कैसे रह पायेगी?
पहले तो खूब उसके साथ हंसती खिलखिलाती थी।
खूब नाचती गाती थी।
खूब बातें बनाती थी।
सुना है,वो तो तेरे नाज नखरे भी उठाता था।
क्या लगता था तेरा, वो जो उसकी एक आवाज पर ही दौडी़ चली जाती थी।
बता अब किससे मोह लगाएगी। अब किसको दिल की बात बताएगी?
अब मैं अगर चुप रहती तो उसके साथ नाइंसाफी होती।
सवालों के जवाबों से पहले मैं तुम्हें उसके बारे में कुछ बताती हूं।
चांद सा रूहानी था वो।
पहाड़ो जैसा शांत था वो, लेकिन अंदर उसके समुन्दर सा शोर था।
फूलों जैसा महकता था वो।
आधे से ज़्यादा बातें तो इशारों में ही कह जाता था।
पास बैठती थी तो टुक टुक निहारता ही चला जाता था ।
कैसे ना मैं उससे मोह लगाती । जैसा हर एक समुंद्र का किनारा होता हैं। वैसे मेरा सहारा था वो।
मैं जानती हूं ना तो मैं उसको भूला पाऊंगी ,ना ही अब दिल की बात बता पाऊंगी।
मैं अपने मुख से बड़े बोल तो नहीं बोलती, लेकिन क्या पता अब इस सबके बाद मैं उसकी मीरा बन कर रह जाऊंगी।
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