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स्त्री के रूप अनेक और हर रूप में फ़र्ज़ अनेक।परिवार में खुशियां लाती है स्त्री।जीवन को खुशहाली बनाती स्त्री हर हाल मैं मुस्कुराती है। स्त्री उफ्फ नहीं करती है। के सभी संघर्षों को सह लेती है वो है स्त्री।
जीवन को सवारती है स्त्री।
स्त्री अगर घर में ना हो तो लगता है घर है ही नहीं।हर फ़र्ज़ को बखूबी निभाती है स्त्री। आज कानून अनेक है फिर भी सुरक्षित नहीं है स्त्री स्त्री के साथ आज भी ना जाने कौन से कसबे में, घर में मन को थेस नहीं पहुंचया जाता है।आज भी स्त्री सुरक्षित नहीं है आखिर क्यों?
एक समय की बात है जब लडकियों समूह में कहीं घूमने जाती है। आज का दिन उन्के लिये बेहद खूबसूरत होता है जैसे उड़ने के लिए पंख मिल गए होते हैं।
स्त्री के मन में भी बहुत सारे सपने होते हैं उन सपनो को पूरा करने का पूरा हक है उनको।
आज का समाज उन्हें ऐसा करने से रोका है आज भी।खुलकर जीने का हक है उन्हें ये बात सवायाम से कहने से रोकटा है। काफी दूर घूमने के बाद वो ठक गई थी बस एक जगह आराम करने के बारे में बात ही कर रही थी तब ही अचानक उसकी नजर एक ऐसे इंसान पर गई जो बेहद अजीब तारिके से देख रहा था। उसने लगा उसका वहम होगा। वो आगे बढ़ी तो उस इंसान की हिम्मत बढ़ गई तो हमें बोलना आरंभ कर दिया। ए अजीब लगा क्योंकि अब तक वो समझ नहीं पा रही थी ऐसा क्यों हो रहा है। इधर उधर देखा तो कोई नजर नहीं आया सिवाय उनके दोस्तों के समूह। हिम्मत बढ़ा रही थी उस लड़के को ज्ञान नहीं है कि जीवन. सबके लिए बराबर है। आगर स्त्री मुस्कुराती है तो उसका अर्थ ये नहीं है कि तुम्हें कोई इशारा कर रही है हो सकता है आपस में खुश हो राही है।
लड़कों की हिम्मत बढ़ी वो पीछे कर्ता हुआ काफी दूर आया तब लड़की के मन का शक पक्का हो गया तब अपने दोस्तों से बात करने की कोशिश की तो मालुम हुआ वो लड़का ऐसे ही सबको प्रेशान करता है। अब लड़की का मन पूरा गुस्सा से भर गया ये सोचने की क्या फ़ायदा सराय कानून का और व्यवस्था का जिसको कोई लागू ही नहीं करता और हमारे मन का डर हम पर ही हवा पर जाता है। तब वो लड़की फैसला करती है लड़कों के खिलाफ आवाज उठाने की। अगले दिन बात करती है अपने दोस्त से। वो समझौता है कि ये लड़ाई लड़की के लिए है इसीलिये तुम्हें स्वयं ही लड़ना होगा। हम हमेशा साथ है अगर में साथ जाऊंगा तो तुम्हें अन्य सवाल का सामना करना पड़ा सकता है जो दिशा बदल देगी तुम्हारी लड़ाई का।
लड़की जाति है उसी वक्त और अपनी बुलंद आवाज उठाती है। एके बार फिर सिख लेती है कि आवाज़ तुम्हें ही उठना होगा जब तक चुप रहोगी तब तक दुनिया कमजोर समझके तुम्हारा ही चुटकुला बनायगा।
जीवन से यही संदेश देना है वक्त आपको कथिन सा प्रतीत होगा परंतू आपका धर्म है कि आप स्वयं के लिए आवाज उठाने की हिम्मत करे।
तभी आप पंख फेलाकर उड़ सकते है। वरना ये दुनिया का नियम है जितना चुप रहो दुनिया उतना ही जुल्म करेगी। कथिन है लड़ाई परंतु स्वयं के अस्तित्व की रक्षा करना भी तो हमारी जिम्मेदारी है क्योंकि हम कमजोर नहीं है। हम आने वाले भविष्य के लिए मार्गदर्शक हैं।हम कमजोर पर जाएंगे तो उन्हें क्या शिक्षा देंगे ।स्त्री कमजोर नहीं है बस जरूरत है हिम्मत करके आवाज उठाने की और अपने डर पर विजय पाने की।
जय हिन्द!