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मेरा गुरुर तब तक सलामत हैं,
जब तक मेरे भाइयों का सरताज मेरे माथे पर हैं...
भाई से ही मेरा रक्षाबंधन,भाई से ही घर की दिवाली हैं.. फ़क़त आँखों की डर है,
ना झगड़ा हुआ कभी, ना हुई हमारी लड़ाई हैं ।
दर्द मुझे हों तो, वो आँखों को दरिया कर लेते है..
भाई हीरे है मेरे मुझे गुलाब की तरह रखते हैं।
लाडली कहकर मुझे बुलाते हैं,
अपने हाथों से लाड़ लड़ाते हैं।
हाथी सवारी मूझे करनी हों तो,
वो घुटने के बल झुक जाते हैं।
राखी की एक डोर बांध वो विश्वास जगाती हैं।
वो बहन की राखी ही होती हैं,
जो भाई की रक्षा कर जाती हैं।
सबसे अटूट बंधन ये, और भाई बहन की निशानी है ।
रक्षाबंधन का त्यौहार हैं ये,जिसे हर भाई बहन मनाते हैं।