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मेरे मुकाबले मुझे वो बेशुमार चाहता हैं,
एक सख्स है जो मुझ पे अपनी जान वारता हैं।
पापा, पिता, बापू कई नाम है उनके,
पर सारे खुदा जैसे ही काम है उनके।
और मरहम पट्टी सब कुछ करना जानता हैं,
घाव हों या चोट वो भरना जानता हैं।
मंजिल आसमा क्यों ना हों, वो चड़ना जानता हैं।
मेरी खातिर वो सारी मुश्किलों से लड़ना जानता हैं,
भीगी अँखियाँ तो अक्सर उनकी भी मिलती हैं,
आँसू छुपाने का हुनर वो बखूबी जानता हैं।
दर्द होते हुवे भी वो हँसना जानता हैं।
एक वही हैं, जो मुझे मुझसे बेहतर जानता हैं। 

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