( मेरी ये पंक्तियां उन सभी को समर्पित हैं जिन्होंने जीवन की कठिनाइयों और उनके साथ हुये अन्याय से हार मानकर आत्महत्या का रास्ता चुना। जैसे अतुल सुभाष, पुनीत खुराना, और अनगिनत अन्य जिन्होंने अपने संघर्षों में धैर्य खो दिया। लेकिन आत्महत्या कोई समाधान नहीं, बल्कि धैर्य और संघर्ष से ही न्याय और नई सुबह की उम्मीद है। जीवन की हर समस्या का समाधान है, और हर अंधकार के बाद उजाला अवश्य आता है। )
न्यायधीश अगर न्याय नहीं करता
तो क्या न्याय कहीं खो जाता है?
न्याय तो उस प्रकृति का नियम है,
जो हर हाल में लौटकर आता है।
क्यों गिरते हो, क्यों टूटते हो?
जीवन की राहों से क्यों रूठते हो?
यह अंधकार है, गुजर जाएगा,
हर तूफान के बाद नया सवेरा आएगा।
माना कि मन की हिम्मत टूट जाती है,
आस की डोरी कभी छूट जाती है।
पर याद रखना, धैर्य ही तो वो दीपक है,
जो अंधेरे में भी उम्मीद जलाता है।
न्याय देर से आए, या सही न आए
तो क्या आसमान फट जाएगा?
सत्य को छुपा सके कोई,
क्या ऐसा समय कभी आएगा?
धरती सहेजती है हर बूँद पानी की,
सूरज लाता है सुबह कहानी की।
ठीक वैसे ही न्याय का पहिया घूमेगा,
हर अन्याय का किला ध्वस्त होगा।
अपने कंधों को थामो, गिरने न दो,
मन की बातों में बहकने न दो।
ये वक्त है, ये बीत जाएगा,
तुम्हारा संघर्ष तुम्हें जीत दिलाएगा।
क्या आत्महत्या समाधान है?
या अपने कर्तव्यों से पलायन है?
हर गिरी दीवार फिर खड़ी होती है,
तुम्हारी भी ताकत फिर से होती है।
लड़ो, उठो, अडिग बनो,
हर तूफान के आगे खड़े रहो।
जिन्होंने विश्वास खो दिया तुम पर,
उन्हें दिखाओ, तुममें कितना बल है।
क्योंकि न्याय किसी का मोहताज नहीं,
सत्य कभी दबता या थमता नहीं।
धैर्य रखो, समय की गति समझो,
अपने जीवन का हर रंग तुम रचो।
तुम्हारे बिना दुनिया अधूरी लगेगी,
तुम्हारी हिम्मत हर मन को जगाएगी।
जीवन का यह तोहफा संभालो,
हर मुश्किल में अपने को सम्हालो।
न्यायधीश भले ही न्याय न करेगा,
लेकिन सृष्टि का न्याय अटल रहेगा।
अन्याय का अंत होगा, न्याय का दिन आएगा,
हर दर्द मिट जाएगा , तू सकून पायेगा|