आज प्रत्येक व्यक्ति अपने अकेलेपन से जूझ रहा हैं  परिवार में रह कर भी अकेला हैं वक्त कहां किसी के पास जो बांट ले किसी का कुछ एकान्त कभी सुन ले किसी की मन की बात।

यूं ही दिन न बिता जाने अभी कितना और है जीना मत डूब अवसाद में अपने को अपना दोस्त बना खुद से ही बांट ले अपने कुछ पल अकेलेपन से निकल और जीवन आनंद से बिता।

अकेलापन नहीं एकांत कहे
अकेलेपन का दर्द न सहे
एकांत की सार्थकता को समझे 
अकेलेपन को सजा न माने
बल्कि एकांत से वरदान पाये

नकारात्मक नहीं सकारात्मक सोचिए
यह वक्त खुद के साथ बिताएं
चिंता नहीं आत्म निरीक्षण कीजिए
स्वयं में स्वयं को तलाशिए
अकेलेपन से उलझे नहीं बल्कि
मन की उलझनों को सुलझाएं

अकेलेपन में सृजन की शक्ति है 
प्रतिभा एकांत में ही पनपती है
मन को शांत करें थोड़ा आराम करें
अपना नजरिया बदलें और
अकेलेपन का आनन्द उठायें।

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