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(एक डरा-सहमा पति अपनी पत्नी से "भविष्य की सुरक्षा" को लेकर भावुक निवेदन कर रहा है: )

"डरे हुए पति का ऐलान"

शादी को पूरे बीस बरस हो गए
अब तो सर के बाल भी साथ छोड़ गये।
पर न जाने क्यों आजकल दिल डरता है,
हर सुबह अखबार में कोई पति ही मरता है।

पत्नी जी बैठीं थीं बाल संवारती,
मैं बोला - “थोड़ा सुनो ज़रा बात हमारी।”
पत्नी ने आँख तरेरी, बोली - “क्या हुआ जी?”
मैं बोला - “बस यूँ ही दिल में उठी है एक आग सी।”

“बीस साल से संग हैं, खट्टी-मीठी बातों में,
पर आजकल जो हो रहा है, वो है डर की रातों में।
न मुझसे झगड़ा करो, न ज़हर में परोस दो चाय,
बस एक सच्ची बात बताओ, अगर जो मन में तुम्हारे आए|


“क्या तुम्हारा भी कोई 'एक्स' है कहीं?
कोई पुराना प्रेमी, जो अब भी करे बातें वहीँ?
अगर है, तो कसम से मैं खुद भेज दूंगा तुम्हें,
बस मुझे दोनों की मिली-भगत से न मारना कभी!”

पत्नी मुस्काई, फिर हँसी – जैसे बिजली चमकी,
बोली – “कहाँ से लाए हो ये उलटी खोपड़ी
अरे , तूम ही तो वो ‘एक्स’ हो , जो अब पति बना,
बाकी सबको तो मैंने मना किया, तुम्हें ही अपनाया।

मैं बोला – “अरे, तुम जो कहो, मैं मान लूंगा सौ बार,
पर डर तो लगता है, कहीं न हो कोई गुप्त हथियार।
अगर कभी मैं बीमार पड़ा या बैंक बैलेंस हुआ कम,
तब तो न हो जाए तुममें ‘एक्स’ प्रेमी के लिए ग़म?”

पत्नी बोली – “तूम इतना डरते क्यों हो,
ना तो तुम्हारी एब्स हैं, ना स्टाइल में कोई बात,
फिर भी झेल रही हूँ तुम्हे, ये है मेरा जज़्बात!"
जिस दिन से शादी हुई, तुम तब से ही अधूरे हो
ना रोमांस का टैलेंट तुममें, ना गिफ्ट्स का पिटारा हो|

मैं बोला – “इसीलिए तो कहता हूँ में सच्चे दिल से - -
अगर कोई और है तुम्हारी चाहत , तो बता दो मुझे
मैं छोड़ आऊँगा तुम्हें खुद ही उसके पास
अपनी खुशी से , गिफ्ट्स और फूलों के साथ,
बस तुम दोनों मेरी बीमा राशि पर न करना घात!”

पत्नी अब हँसी से हो गयी लोटपोट,
बोली - - “ऐसे डरे हुए पति,
आजकल बहुत ट्रेंड में हैं,
सबकी हालत खस्ता और दिल बैचेन हैं
तुम चिंता मत करो, झेल लूंगी तुम्हे मैं जनम-जनम,
और हाँ, बीमा की फाइल अब से मैं रखूंगी हरदम!

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