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जब वो दोनों पहली बार मिले। शहर की सड़कों पर बारिश की बूँदें गिर रही थीं, वो दोनों एक कॉफी शॉप में मिले थे ।

आशीष, एक लेखक, था जो किसी सीरीयल की कहानी के ऐपिसोड लिए लिख रहा था, निशा एक कालेज में रसायन विज्ञान की प्रोफेसर थी । दोनों बारीश के कारण काफी शॉप में आये थे । कॉफी के कप के साथ उनकी बातचीत शुरू हो गई,

बारिश थी कि रूक ही नहीं रही थी। कॉफी, बारिश की बूँदों और उनकी बातचीत ने उनके बीच एक अजीब सा तालमेल पैदा कर दिया, जैसे कि ये पहली मुलाकात ही नहीं बल्कि पुरानी मिलनसर दोस्ती हो।दोनों को वक्त का अंदाजा ही न रहा।

जब बारीश बन्द हुई और दोनों अपने अपने घर चले गये।

निशा को हैरानी हुई कि उसने आशीष का मोबाइल नम्बर भी नहीं लिया और आशीष ने भी न ही उसका मोबाइल नम्बर लिया न उसके बारे में कुछ पूछा - - -

ये लेखक होते ही ऐसे हैं । निशा मन ही मन बड़बड़ाने लगी ।

निशा इस मुलाकात को एक इत्तेफ़ाक समझ भूल जाना चाहती थी पर आशीष ने उसके दिल के किसी कोने में अपनी जगह बना ली जहाँ से निशा उसे निकाल नहीं पा रही थी और अक्सरआशीष के ख्यालों में डूब जाती थी ।

लेकिन आशीष तो निशा को पहली मुलाकात में ही अपना दिल दे बैठा था और सोच रहा था कि अगर दोनों को प्यार हैं तो वे एक दिन जरूर मिलेगें

कुछ दिन बाद निशा ने अपनी और आशीष की मुलाकात जैसा सीन एक टीवी सीरीयल में देखा ऐसे लगा वही दोनों उस एपिसोड के किरदार हैं। जैसे ही हीरो हीरोइन को विवाह के लिये प्रस्ताव रखता हैं कि तभी डोरबेल बजी। निशा ने दरवाजा खोला तो आशीष फूलों का गुलदस्ता लिये खड़ा था।

निशा जो बहुत गुस्से में थी और आशीष से मिल कर उसे सबक सिखाने का सोच ही रही थी।

आशीष को देखते ही उसका गुस्सा गायब हो गया।

आशीष ने बताया कि उसकी कजन (बहन) पूजा भी उसी कालेज में प्रोफेसर हैं जहाँ निशा हैं और पूजा निशा की अच्छी दोस्त भी हैं। निशा ने जब पूजा को अपनी मुलाकात के बारे में बताया और आशीष की अक्सर बातें करती थी ये सब अन्जाने में पूजा ने आशीष को बताया था।

बस तभी से आशीष को यकीन हो गया कि उसका और निशा का प्यार सच्चा है

उसने अपने प्यार का इजहार करने के लिये सीरीयल के इस एपिसोड की कहानी को माध्यम बनाया।

आज असली हीरो और नाटक का हीरो एक साथ विवाह प्रस्ताव रख रहें हैं।

निशा को विश्वास नहीं हो रहा था कि वह पहली मुलाकात का जादू हैं या कुछ ओर।सब कुछ बहुत फिल्मी लग रहा था।

दोनों का विवाह हुये कई वर्ष बीत गये पर आज भी निशा और आशीष अपनी पहली मुलाकात की याद ताजा करने बारीश में उस कॉफी हाऊस में घंटो बैठ कर बाते करते हैं।

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