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गिबली की दुनिया और हमारी हकीकत

जापान की मिट्टी में जन्मा यह सपना,
मियाज़ाकी ने जादू रचा अनमोल।
हर फिल्म में बसी एक कोमल संवेदना,
हर किरदार का दिल निर्मल, गोल।

'स्पिरिटेड अवे' ने दुनिया को चौंकाया,
'माय नेबर टोटोरो' ने हँसना सिखाया,
'हाओल्स मूविंग कैसल' ने ख्वाब दिखाए,
हर फिल्म ने दिल को छूने के ढंग सिखाए।

धीरे-धीरे भारत भी रंगा इसमें,
बच्चों की आँखों में सपने भर आए,
सोशल मीडिया की चमक के कारण,
अब सब इसे असली बनाने को उतावले आए।

गिबली के सपनों में खोए हम,
फेंटेसी के रंगों में खोए हम।
हवा में उड़ते, जादू बुनते,
बचपन के मीठे पल पिरोए हम।

लेकिन यह दुनिया असली नहीं,
यह जादू बस पल भर की कहानी है।
सोशल मीडिया की चमक-धमक में,
खुद को दिखाने की नादानी है।

अपनी तस्वीरें, अपने पल,
सबके आगे बिखर रहे हैं।
सोचो कभी जो वक्त बदले,
तो ये कितने खतरनाक दिख रहे हैं।

गिबली की मासूमियत प्यारी है,
पर दुनिया इतनी निराली नहीं।
जो बांट रहे हो हर याद अपनी,
क्या उसकी जिम्मेदारी नहीं?

सोचो, समझो, फिर कुछ बांटो,
हर तस्वीर इक पहचान है।
फेंटेसी के रंग तो मीठे हैं,
पर हकीकत की अपनी जान है।

कल जब यह जादू उतरेगा,
सच का सूरज जब चमकेगा,
तो क्या यह दुनिया वही रहेगी?
या फिर खालीपन ही बचेगा?

फोटो, पोस्ट, कहानियाँ सारी,
कल को कोई हथियार बनाए,
जो आज दिखा, वह सच न निकला,
कल को यह मुसीबत लाए।

अब हर प्रोफाइल पर, बस गिबली का राज,
असलियत भूल बैठे, क्या यही समाज?
फिल्टर और AI से, खुद को न बहलाओ,
सच्चे चेहरे की चमक, खुद ही जगमगाओ!

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