( अब तो वर्ष भर ही परिक्षायें होती रहती हैं परन्तु प्रत्येक विद्यार्थीके जीवन में दसवीं व बारहवीं की बोर्ड परीक्षा का विशेष महत्व होता है जो प्रत्येक वर्ष फरवरी से ही शुरू हो साथ लाती हैं मौसम परिक्षाओं का - - - -
दसवीं की बोर्ड परीक्षा में कोई अनुभव भी नहीं होता इसलिये शायद सबसे कठिन परिक्षा दसवीं की बोर्ड परीक्षा होती हैं। )
परीक्षा का मौसम जब भी आता ...
जनवरी का कम्पन , जून का पसीना लाता।
कोर्स का बादल दिल सर पर मंडराता।
आंखों में प्रश्नों का अंधेरा छा जाता।
जब से दसवीं कक्षा में आए,
बोर्ड की परीक्षा का भय दिन रात सताये।
यूं तो जागते हुए सभी विषयों की करी तैयारी,
नींद में, सपनों में, न जाने कितनी बोर्ड परीक्षाएं दे डाली।
हे ऊपर वाले इम्तिहान में मत डाल,
आता दिन-रात बस यही ख्याल।
हो जाए कहीं से कोई चमत्कार,
निरस्त हो जाए परीक्षा,
बिना इम्तिहान ही मिल जाये अगली कक्षा।
परीक्षाओं का दिन भी आ गया,
पहला पर्चा बहुत अच्छा हो गया।
पहले पर्चे से ही लगा,
बोर्ड की परीक्षा का किला फतेह हो गया।
पर अभी तो शुरुआत थी,
पूरी फिल्म तो अभी बाकी थी।
हिम्मत, हौसला बुलंद हुआ कुछ ज्यादा,
खुद पर भरोसे का हुआ बहुत इजाफा।
पर हाय किस्मत दे गई दगा,
दूसरे ही पर्चे पर पहाड़ टूट पड़ा।
हिंदी की परीक्षा में भूगोल की कर आयी तैयारी,
हाय कैसे हो गई हमसे इतनी लापरवाही।
प्रश्न पत्र जब हाथ में आया , सर मेरा चकराया।
कक्षा में नजर दौड़ाई ,
सब कर रहे थे लिखाई।
निरिक्षिका महोदया हमें देखकर मंद मंद मुस्कुराई।
ली गहरी सांस और कुछ हिम्मत जुटाई,
दिमाग पर डाला जोर और प्रश्नों पर नजर टिकाई।
धीरे-धीरे उत्तर याद आने लगे,
सभी प्रश्न हल होने लगे।
किसी तरह यह परीक्षा निपटाई।
होगी जग हंसाई, यह सोच घटना किसी को ना बताईl
आगे से ना हो दोबारा यह गलती,
बची हुई परीक्षाओं की दिनांक अच्छे से रट डाली।
देख कर हमें दिन-रात, परीक्षा में इतना परेशान,
घर में सबने समझाया, शांत मन से देकर आओ इम्तिहान, मत करो अंक प्रतिशत, परिणाम की चिंता।